थायरॉयड महिलाओं में होने वाला सबसे आम हार्मोन असंतुलन है. इसका कम या ज्यादा होना दोनों ही मानव शरीर के लिए बीमारी का कारण है.
अगर हार्मोन कम होने लगता है, तो आपके शरीर का मेटाबोलिज्म बहुत तेज हो जाता है और आपकी ऊर्जा बहुत जल्दी खर्च हो जाती है. अगर बढ़ जाए, तो शरीर की मेटाबोलिज्म प्रक्रिया धीमी हो जाती है. ऐसे में शरीर में ऊर्जा बननी कम हो जाती है और थकान तथा सुस्ती बढ़ जाती है.
हाल ही में आए कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक शोध के मुताबिक तनाव आपके शरीर में थायरॉक्सिन हार्मोन के स्राव को नियंत्रित करता है. अगर आप लगातार तनाव में रहते हैं, तो हार्मोन के स्राव पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.
शोध के अनुसार जब तनाव का स्तर बढ़ता है, तो इसका सबसे ज्यादा असर हमारी थायरॉयड ग्रंथि पर पड़ता है. यह ग्रंथि से हार्मोन के स्राव को बढ़ा देता है. शोध के अनुसार तनाव का सबसे ज्यादा असर पुरुषों पर होता है. पुरुषों में होने वाले थायरॉयड के 50 प्रतिशत मामले तनाव के कारण होते हैं.
इस पेरशानी के बारे में लोगों खास तौर से महिलाओं में जागरुकता फैलाने के लिए वर्ल्ड थायरॉयड डे की शुरुआत वर्ष 2009 में यूरोपियन थायरॉयड एसोसिएशन ने की थी.
डॉक्टर जी. सी. वैष्णव ने बताया, ‘‘तनाव के कारण पुरुषों में ‘प्राइमरी हाइपो थायरोडिज्म’ नामक परेशानी ज्यादा होती है. इसमें ग्रंथि काम करना बंद कर देती है. इससे शरीर में रोग से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और इससे निपटना बहुत मुश्किल हो जाता है.’’
वे कहते हैं, ‘‘तनाव से पुरुषों में थायरॉयड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. पहले महिलाओं और पुरुषों में इस बीमारी का अनुपात 10:1 हुआ करता था जो अब घट कर 3:1 हो गया है.’’
डॉक्टर आर. पी. सिंह का कहना है, ‘‘पुरुषों में होने वाली आम परेशानी है थायरोटिस. यह सिर्फ तनाव के कारण होता है. थायरॉयड से परेशान 10 में से 5 पुरुषों को थायरोटिस की परेशानी ही होती है.’’
वे कहते हैं, ‘‘थायरोटिस का कोई इलाज नहीं है. इसके लिए आपको अपने पूरे जीवन काल में रोज सुबह हार्मोन की गोलियां लेनी पड़ती हैं. अगर आप एक सप्ताह के लिए भी गोलियां खानी बंद कर दें, तो आपके शरीर का संतुलन खराब हो जाता है.’’
डॉक्टर वैष्णव कहते हैं, ‘‘इसका कोई इलाज नहीं है. मगर कुछ एहतियात बरत कर इस परेशानी से लंबे वक्त तक बचा जा सकता है. अगर आप तनाव को अपने जीवन से कुछ हद तक बाहर निकाल दें और खाने में पोषक भोजन लें तो इस परेशानी से बच सकते हैं.’’
वे कहते हैं, ‘‘इसके अलावा योग और कुछ हल्के व्यायाम इससे बचने में आपकी मदद कर सकते हैं. थायरॉयड होने के बाद भी कुछ योगासन ऐसे हैं जो इसके स्त्राव के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. अगर हम ऐसे आसनों को योगाचार्यों की देखरेख में करें तो इस परेशानी से बच सकते हैं.’’
योगाचार्य डॉक्टर अरुणा आनंद कहती हैं, ‘‘भारतीय योग शास्त्र में थायरॉयड के लिए कई आसनों और प्राणायाम का जिक्र है. अगर आप रोज सुबह महज 15 मिनट के लिए भी उन्हें करें तो इस परेशानी से बच सकते हैं.’’