खुशी भले ही क्षणिक हो, लेकिन उन अच्छे पलों को संजोकर रखना और अपने निजी अनुभवों की दूसरों से तुलना नहीं करना लंबे समय तक खुश रहने में आपकी मदद कर सकता है.
इस बात का खुलासा एक नए अध्ययन में किया गया है. अमेरिका में शोधकर्ताओं ने 481 लोगों के बीच इस संबंध में सर्वेक्षण किया. इन लोगों ने अपने जीवन में हाल में आए सकारात्मक बदलावों की पहचान की थी जिसने उन्हें खुश किया था.
छह हफ्ते बाद मनोवैज्ञानिकों ने इस बात का मूल्यांकन किया कि क्या मूल खुशी में हुई वृद्धि बनी हुई है या काफूर हो गई. शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ लोगों के लिए यह काफूर हो चुकी थी लेकिन ज्यादातर के लिए यह बरकरार थी.
मिसौरी विश्वविद्यालय के कालेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के प्रोफेसर केनॉन शेल्डन ने कहा, ‘ज्यादातर लोग उस बदलाव के आदी हो गए, जिसने उन्हें पहले आनंदित किया था.’
‘लाइव साइंस’ के अनुसार शेल्डन ने कहा, ‘उन्होंने खुश होना बंद कर दिया, क्योंकि वे और की चाहत करने लगे और अपना मानदंड ऊपर उठाते रहे या उन्होंने ताजा सकारात्मक बदलाव के अनुभवों को महसूस करना बंद दिया. उदाहरण के तौर पर, उन्होंने अपने नए बॉयफ्रेंड के साथ आनंद उठाना बंद कर दिया और इस बात की कामना शुरू कर दी कि वे दिखने में अच्छा होता.’
उन्होंने कहा, ‘कुछ लोगों ने उनके पास जो था, उसको बहुत मान किया और नए अनुभव करते रहे. दीर्घावधि में ऐसे लोग जहां से उनकी खुशी बढ़ने की शुरुआत हुई थी, उस स्तर को गिरने देने की बजाय अपनी बढ़ी हुई खुशी के स्तर कायम रख सके.’