क्या है क्लिनिकल ट्रायल?
क्लिनिकल ट्रायल में लोगों पर प्रायोगिक वैक्सीन का टेस्ट किया जाता है, ताकि ये पता लगाया जा सके कि ये वैक्सीन कितनी सुरक्षित और असरदार है. आमतौर पर इस तरह की प्रक्रिया में दस साल लग जाते हैं. WHO के मुताबिक क्लिनिकल ट्रायल में लोग अपनी इच्छा से आते हैं. इनमें ड्रग्स, सर्जिकल प्रक्रिया, रेडियोलॉजिकल प्रक्रिया, डिवाइसेज, बिहेवियरल ट्रीटमेंट और रोगनिरोधक इलाज भी शामिल होते हैं.