World Haemophilia Day: आज कल के समय में ज्यादातर लोग किसी न किसी हेल्थ प्रॉब्लम्स से गुजर रहे हैं. जहां कुछ लोगों को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां होती हैं तो वहीं बहुत से ऐसे होते हैं जिन्हें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां होती हैं. इस तरह की बीमारियों से ग्रस्त लोगों के बीच कई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें हीमोफीलिया नाम की बीमारी घेर लेती है.
अगर आप इसके बारे में नहीं जानते हैं तो हम आज आपको हीमोफीलिया के बारे विस्तार से बताने वाले हैं. आपको इस आर्टिकल में हीमोफीलिया क्या है? हीमोफीलिया के लक्षण क्या हैं? हीमोफीलिया क्यों होता है? हीमोफीलिया का इलाज क्या है? इस तरह के सभी प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे. आज 'वर्ल्ड हीमोफीलिया डे' के मौके पर चलिए जानते हैं इस बीमारी के बारे में.
हीमोफीलिया क्या है?
हीमोफीलिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें खून जमने में बहुत परेशानी होती है. हम इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि इसमें खून आसानी से नहीं जमता. उदाहरण से समझाएं तो अगर किसी को चोट लग जाए या कट जाए तो उसका खून जल्दी रुकता नहीं और बहता ही रहता है.
यह बीमारी आनुवंशिक (जन्मजात) होती है यानी ये बीमारी माता-पिता से बच्चे को मिलती है. खास बात यह है कि हीमोफीलिया अधिकतर लड़कों को होती है और जिन लोगों को ये बीमारी होती है उनका छोटी से छोटी चोट लगने पर भी बहुत ज्यादा खून बह सकता है.
हीमोफीलिया क्यों होता है?
अब सवाल उठता है कि आखिर हीमोफीलिया होता क्यों है? तो बता दें, यह बीमारी तब होती है जब आपकी बॉडी में खून जमाने के लिए जरूरी माना जाने वाला 'क्लॉटिंग फैक्टर' या तो कम होता है या बनता ही नहीं है. जहां यह एक जेनेटिक बीमारी है, वहीं कुछ मामलों में यह बीमारी बिना किसी फैमिली हिस्ट्री के भी हो सकती है.
हीमोफीलिया के लक्षण क्या हैं?
आपको हीमोफीलिया है या नहीं इस बात को समझने के लिए आपको इसके लक्षणों का पता होना जरूरी है.
1. इसका सबसे पहले और सामान्य लक्षण यह है कि चोट या कट लगने पर खून काफी देर तक बहता रहता है.
2. कई बार इस बीमारी की वजह से आपके जोड़ों में सूजन, दर्द और चलने-फिरने में तकलीफ (खासकर घुटनों, कोहनियों और टखनों में) होती है.
3. यूं तो पेशाब या पॉटी में खून आना बवासीर के लक्षणों में आते हैं, लेकिन हीमोफीलिया होने पर भी ऐसा हो सकता है. इसके साथ ही आपकी नाक से बार-बार या ज्यादा खून भी आ सकता है.
4. आपका खूब इस बीमारी में ज्यादा बहता है, जिसकी वजह से आपके शरीर में खून की कमी आ जाती है. ऐसे में आपको बहुत जल्दी थकान हो जाती है.
5. अगर किसी महिला को हीमोफीलिया होता है, तो पीरियड के दौरान उसका बहुत ज्यादा खून बहता है.
हीमोफीलिया का ट्रीटमेंट कैसे कराएं?
हीमोफीलिया जेनेटिक बीमारी है तो इसका का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है.
क्लॉटिंग फैक्टर थेरेपी: बॉडी में जो चीज खून को जमाने में मदद करती है, उसे इंजेक्शन लगाकर शरीर में डाला जाता है.
खून बहने से रोकने वाली दवाएं: कुछ दवाएं खून के थक्कों को टूटने से रोकती हैं, खासकर जब नाक या मुंह से खून आता है. इनसे खून बहने से रोका जा सकता है.
जीन थेरेपी (Gene Therapy): हीमोफीलिया को जीन थेरेपी नामक नई तकनीक से भी नियंत्रित किया जा सकता है. इसमें शरीर के अंदर सही जीन डाले जाते हैं ताकि शरीर खुद ही क्लॉटिंग फैक्टर बना सके.
यदि आपको भी कुछ लक्षण नजर आते हैं तो किसी डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं.