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20 साल की उम्र में 60 का दर्द: युवाओं की रीढ़ की हड्डी हो रही कमजोर! आखिर क्या है कारण

lower back spine pain: आजकल के युवाओं को काफी कम उम्र में भी बैक पेन होने लगा है. बैक पेन का का कारण स्पाइन यानी रीढ़ की हड्डी में लगी चोट हो सकता है. इसके कारण और उपाय क्या हैं, इस बारे में जानेंगे.

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कमर दर्द आज के समय में काफी कॉमन समस्या है (Photo: ITG)
कमर दर्द आज के समय में काफी कॉमन समस्या है (Photo: ITG)

Back Pain & Lifestyle: कमर दर्द जहां पहले अधिक उम्र के लोगों को होता था, वहीं अब कम उम्र के लोगों में भी इसकी शिकायत होने लगी है. कमर दर्द को अब सिर्फ बुढ़ापे की समस्या नहीं माना जाता, बल्कि इसे कम उम्र की समस्या भी मान लिया गया है. कमर दर्द के अलग-अलग प्रकार होते हैं और ये अलग-अलग कारणों से शुरू होता है. हालांकि कुछ प्रकार के कमर दर्द गलत पोश्चर में बैठने या फिर कुछ लाइफस्टाइल की मामूली गलतियों के कारण होता है जो कुछ समय में ठीक हो जाता है. लेकिन कुछ कमर दर्द ऐसे भी होते हैं जो दिखने में तो मामूली लगते हैं लेकिन अगर उन पर ध्यान ना दिया जाए तो वो गंभीर रूप ले सकते हैं. तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि युवाओं में कमर दर्द के मामले क्यों बढ़ रहे हैं और इन्हें कैसे कम किया जा सकता है.

क्या कहती हैं रिसर्च?

  • रिसर्चगेट की 2025 की स्टडी का कहना है कि भारत में करीब 15 लाख लोग रीढ़ की हड्डी में चोट से परेशान हैं.
  • सिएटल के इंटीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड वैल्यूएशन की 2023 की रिपोर्ट 'ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज' के मुताबिक, लोअर बैक पेन या कमर दर्द दुनिया भर में जल्दी मौत और सेहत बिगड़ने की 10 वजहों में से एक है.
  • इसकी 2021 की रिपोर्ट में बताया गया था कि दुनिया भर में होने वाली रीढ़ की हड्डी की चोटों मे से 15 प्रतिशत मामले भारत के हैं, जो चीन के बाद दूसरा सबसे आंकड़ा है.
  • 2024 में 8वीं से 12वीं क्लास के 1007 स्टूडेंट्स पर की गई रिसर्च के मुताबिक 61 प्रतिशत स्कूली छात्र जो ई-लर्निंग डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें गर्दन दर्द की शिकायत थी.
  • 2024 में भारत के हुए एक मेटा-एनालिसिस के मुताबिक, 60 प्रतिशत कामकाजी लोगों में कमर दर्द की शिकायत थी.
  • 2020 से 2023 तक 18 राज्यों में 16,866 मरीजों पर की गई स्टडी के मुताबिक, 18 से 38 साल की उम्र वाले लोगों में कमर की शिकायत सबसे अधिक थी.

युवाओं में कमर दर्द के लक्षण और कारण

इंडिया टुडे के मुताबिक, रीढ़ की हड्डी आपकी गर्दन से लेकर लोअर बैक तक होती है. लेकिन यदि इसमें कोई इंजरी होती है तो वो कमर वाले हिस्से में सबसे अधिक होती है. बेंगलुरु के मणिपाल हॉस्पिटल्स के चेयरमैन और स्पाइन सर्जरी के हेड डॉ. विद्यासागर एस का कहना है, 'यदि किसी युवा को लगातार कमर दर्द की शिकायत रहती है तो 40 साल तक आते-आते उसकी समस्या 60 प्रतिशत तक बढ़ सकती है. कम उम्र में रीढ़ चोट, डिस्क के जल्दी घिसने, समय से पहले गठिया, दर्द, सांस या नसों की समस्या का कारण बन सकती है.'

आइए अब कमर दर्द के कॉमन लक्षण और कारण जान लीजिए.

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सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस (गर्दन का गठिया): पहले ये समस्या आमतौर पर 50 की उम्र के बाद होती थी लेकिन अब ये 20 से 30 साल के लोगों में भी हो सकती है. लंबे समय तक स्क्रीन देखने और कमजोर नेक मसल्स के कारण ये समस्या होती है. जिन लोगों को कम उम्र में ये समस्या हो रही है उसका कारण सिर आगे झुकाकर मोबाइल चलाना, लैपटॉप चलाना और गर्दन की एक्सरसाइज ना करना हैं.

ऑस्टियोपोरोसिस से वर्टिबल फ्रैक्चर: पहले ये समस्या मेनोपॉज के बाद की महिलाओं या बुजुर्ग में होती थी लेकिन अब ये 30 साल की उम्र में भी देखने मिल रही है. कम उम्र में इस समस्या का कारण वटामिन डी की कमी, खान-पान की गड़बढ़ी और एक्स्ट्रीम डाइिटंग है.

स्पाइनल स्टेनोसिस (रीढ़ की हड्डी की नली का संकरा होना): उम्र के साथ हड्डियों और लिगामेंट्स के मोटा होने से से स्थिति बनती है. लेकिन अब ये समस्या तीस साल से कम उम्र में भी शुरू हो रही है. गलत फॉर्म में वेट ट्रेनिंग, बार-बार स्ट्रेन या स्पोर्ट इंजुरी से समस्या हो रही है.

फैसेट जॉइंट अर्थराइटिस (रीढ़ की हड्डी के जोड़ का गठिया): पहले के समय में उम्र के साथ जोड़ों के कार्टिलेज घिसने के कारण ये समस्या होती थी लेकिन अब अधिक वजन वाले युवाओं में ये समस्या आम हो रही है. मोटापा, बार-बार भारी वजन उठाना, स्पाइन की तैयारी के बिना हाई इंपेक्ट एक्सरसाइज इसके मुख्य कारण हैं.

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लंबर डिस्क डीजेनरेशन (कमर की डिस्क का घिसना): पहले चालीस से पचास साल की उम्र में धीरे-धीरे डिस्क पतली होती थी या सूखती थी. लेकिन अब ऑफिस जॉब करने वाले युवाओं और गमर्स में ये समस्या अधिक हो रही है. लंबे समय तक बैठना, मोटापा और एक्टिविटी की कमी जैसी चीजें इस समस्या को बढ़ा रही हैं.

कैसे रखें अपनी रीढ़ का ख्याल?

दिल्ली के सर गंगा राम हॉस्पिटल के ऑक्यूपंक्चर हेड डॉ. रमन कपूर का कहना है, 'बैठने या खड़े होने के पोश्चर का कोई एक सटीक तरीका नहीं है, मायने यह रखता है कि आप एक्टिव रहें, लाइफस्टाइल बैलेंस हो जिससे रीढ़ की हड्डी की मजबूती, लचीलापन बना रहे और शरीर एक्टिव रहे.'

रीढ़ की हड्डी का ख्याल रखने के लिए आपको कुछ बेसिक चीजों का ध्यान रखना है क्योंकि जब रीढ़ की हड्डी का आप ख्याल रखेंगे तो वो भी आपका लंबे समय तक साथ देगी.

रीढ़ की हड्डी की अच्छी सेहत के लिए आपको दिनभर एक ही परफेक्ट पोजीशन में बैठने की जरूरत नहीं है. आप लगातार मूव करते रहें, कभी बैठें, कभी खड़े रहें, कभी चल लें तो कभी रिलैक्स करें.

मजबूत कोर मसल्स से रीढ़ की हड्डी को स्थिर रहने में मदद मिल सकती है इसलिए रोजाना प्लैंक, ब्रिज और स्विमिंग जैसी एक्सरसाइज करें ताकि मसल्स को मजबूती मिले.

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बैकपैक हो या ग्रॉसरी का बैग, हमेशा अपने बैग को सामान्य तरीके से उठाएं. यदि आप एक्स्ट्रा बोझ लेकर अचानक से वजन उठाते हैं तो रीढ़ के लिए खतरनाक हो सकता है.

बैठने के लिए ऐसी कुर्सी चुनें जिसमें ज्यादा सपोर्ट हो. वर्किंग डेस्क सही ऊंचाई की हो ताकि क्रोनिक स्ट्रेन से बचा जा सके.

बैक में यदि आपको जकड़न, अकड़न, दर्द या झनझनाहट समझ आती है तो ये किसी स्थिति का शुरुआती संकेत हो सकता है. ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें.                                           

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