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Intermittent Fasting: इंटरमिटेंट फास्टिंग करना सही है या नहीं? लिवर स्पेशलिस्ट डॉ. सरीन ने समझाया

इंटरमिटेंट फास्टिंग एक लोकप्रिय ईटिंग पैटर्न है जिसमें खाने के समय को सीमित किया जाता है. डॉ. शिवकुमार सरीन के अनुसार, यह शॉर्ट टर्म के लिए फायदेमंद हो सकता है लेकिन जीवन भर के लिए नहीं.

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इंटरमिटेंट फास्टिंग कब खाना है इस बात पर जोर देती है. (Photo: Pixabay)
इंटरमिटेंट फास्टिंग कब खाना है इस बात पर जोर देती है. (Photo: Pixabay)

इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) पिछले कुछ समय से काफी ट्रेंड में है क्योंकि कई सेलेब्स अपनी फिटनेस जर्नी में इंटरमिटेंट फास्टिंग को लेकर बता चुके हैं कि वो इसे फॉलो करते थे. हालांकि ये कोई डाइट प्लाइन में नहीं है जिसमें यह बताया जाए कि क्या खाना है और क्या नहीं. ये एक 'ईटिंग पैटर्न' है जिसमें यह तय किया जाता है कि कब खाना है. इसमें पूरे दिन को 2 हिस्सों में बांटा जाता है. एक वह समय जब आप खाना खाते हैं और एक समय वो जब आपको नहीं खाना है. अब ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल होता है कि क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग वाकई में फायदेमंद है? इस बारे में लिवर स्पेशलिस्ट डॉ. शिवकुमार सरीन का क्या कहना है, इस बारे में जानेंगे.

इंटरमिटेंट फास्टिंग कितनी फायदेमंद?

डॉ. सरीन ने इंटरमिटेंट फास्टिंग के बारे में बताया, 'इंटरमिटेंट फास्टिंग जो है वो ये एक शॉर्ट टर्म के लिए हो सकता है कि आपने 3 महीने कर लिया, 6 महीने कर लिया लेकिन यह जीवन भर की लाइफस्टाइल नहीं हो सकती. जीवन भर की लाइफस्टाइल है, 'टाइम रिस्ट्रिक्टेड ईटिंग.'

'टाइम रिस्ट्रिक्टेड ईटिंग, पूरी दुनिया में सदियों से फॉलो की जा रही है कि सूर्यास्त के बाद नहीं खाना, सूर्योदय से पहले नहीं खाना. ये 12 से 14 घंटे की टाइम रिस्ट्रिक्टेड ईटिंग, आपकी बायोलॉजिकल क्लॉक से मैच करती है. बायोलॉजिकल क्लॉक है कि सुबह-सुबह जब आपके हार्मोंस बनेंगे तो जो आप खाएंगे उसके गुण मिलेंगे, वरना कोई फायदा नहीं होगा. टाइम रिस्ट्रिक्टेड ईटिंग अच्छा है लेकिन इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं है. लंबे समय तक इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से हृदय पर दबाव पड़ता है और दिल के दौरे (Heart Attack) और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ सकता है.'

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'मैं 72 घंटे जैसी लंबी वॉटर फास्टिंग के पक्ष में नहीं हूं. अगर आपको लंबी उम्र तक जीना है तो हफ्ते में 1 दिन 24 घंटे की फास्टिंग कर सकते हैं. वेट कम करने के लिए और बहुत तरीके हैं. इंटरमिटेंट फास्टिंग शॉर्ट पीरियड के लिए अच्छा हो सकता है लेकिन लंबे समय के लिए नहीं.'

इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे और नुकसान

इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे के फायदे और नुकसान दोनों हैं, जिन्हें आपको जानना जरूरी है.

  • जब आप इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं तो शरीर एनर्जी के लिए शरीर में जमा हुई चर्बी का उपयोग करने लगता है जिससे फैट कम हो सकता है.
  • इंटरमिटेंट फास्टिंग खून में इंसुलिन के लेवल को कम करती है जिससे शरीर में फैट स्टोरेज बर्न होने लगता है जिससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम होता है.
  • इंटरमिटेंट फास्टिंग कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और सूजन को कम करने में मदद कर सकती है जो हार्ट डिजीज का मुख्य कारणों में से हैं.
  • इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान शरीर अपनी डैमिज हुई कोशिकाओं की मरम्मत करता है और नई कोशिकाएं बनाता है.
  • इंटरमिटेंट फास्टिंग मस्तिष्क के कार्य को बेहतर बनाने और अल्जाइमर जैसी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है.
  • इंटरमिटेंट फास्टिंग के शुरुआती दिनों में चक्कर आना, सिरदर्द और ऊर्जा की कमी महसूस हो सकती है.
  • इंटरमिटेंट फास्टिंग से खाने के समय में अचानक बदलाव से कब्ज, गैस या पेट फूलने जैसी समस्याएं आम होती हैं.
  • इंटरमिटेंट फास्टिंग से ईटिंग डिसऑर्डर का खतरा हो सकता है क्योंकि कुछ लोग फास्टिंग विंडो खत्म होने के बाद 'बिंज ईटिंग' करने लगते हैं जो सेहत के लिए बुरा है.

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