पुराने जमाने में लोग 100 या 100 से ज्यादा साल तक आराम से जिंदगी जीते थे. इसे देखते हुए हमारे बड़े-बुजुर्ग हमें आज भी 100 साल सुख से जीने का आशीर्वाद देते हैं, लेकिन आज के जमाने में ऐसा होने थोड़ी नामुमकिन सा लगता है. ऐसा नहीं है कि लोग 100 साल नहीं जी रहे हैं, लेकिन लंबी उम्र तक जीने वाले लोगों की संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है. अब आप सोचेंगे कि आखिर एक आदर्श मनुष्य कितने साल जी सकता है या उसकी लाइफ एक्सपैकटेंसी कितनी होगी? अगर आपके मन में इस तरह का कोई सवाल आता है, तो वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में इस सवाल का जवाब मिला है.
कुछ समय पहले हुई रिसर्च में वैज्ञानिकों ने हैरान करने वाला दावा किया था. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं और जानते हैं कि आने वाले समय में आखिर लोग कितने साल तक जीवित रह पाएंगे?
लाइफ एक्सपैकटेंसी हो रही है स्लो:
अध्ययन के अनुसार, मनुष्यों की लाइफ एक्सपैकटेंसी धीमी होती जा रही है. अध्ययन में कहा गया है कि अगर एवरेज लाइफ एक्सपैकटेंसी बढ़ानी है, तो लोगों को दिल के दौरे और कैंसर जैसी बीमारियों के लिए बेहतर ट्रीटमेंट्स ढूंढने के बजाय ऐसी नई दवाइयां बनाने की जरूरत है, जो एजिंग को धीमा कर सकें. इलिनोइस विश्वविद्यालय शिकागो के प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख लेखक एस जे ओलशनस्की ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया था कि, 'हमारा सुझाव यह है कि मूल रूप से मनुष्य जितना लंबा अभी जीते हैं, उतना ही लंबा आगे भी जिएंगे.'
1920-2020 के बीच बढ़ी लाइफ एक्सपैक्टेंसी
ओलशनस्की और उनकी टीम ने 1990 और 2019 के बीच कुछ क्षेत्रों के जन्मे लोगों के जन्म के समय की लाइफ एक्सपैक्टैंसी का रेशियो कलेक्ट किया. यह क्षेत्र वो थे, जिनके लोग अमूमन सबसे ज्यादा जीते थे. इनमें ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, इटली, हांगकांग, जापान, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन और स्विटजरलैंड शामिल हैं. अध्ययन करने वालों ने अमेरिका के आंकड़ों का भी अध्ययन किया. 20वीं सेनचुरी के दौरान और 1920-2020 के बीच, मुख्य रूप से पब्लिक हेल्थ और मेडिसिन में हुए नए रिसर्च्स के कारण लाइफ एक्सपैक्टेंसी में बढ़ोतरी हुई थी. इस दौरान मनुष्यों की लाइफ एक्सपैक्टेंसी औसत से बढ़कर दोगुनी हो गई थी.
कितना लंबा जीएंगे लड़के और लड़कियां?
द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, लाइफ एक्सपैक्टेंसी में हुई इस बढ़ोतरी को देखते हुए वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि, '2000 के बाद पैदा हुए ज्यादातर लोग 100 वर्ष तक जीवित रह सकते हैं.' हालांकि, नए अध्ययन के अनुसार, ऐसा होना मुमकिन नहीं है. इसमें पाया गया कि 1990-2019 के बीच लॉन्गेस्ट-लिविंग रीजंस में औसतन लाइफ एक्सपैक्टेंसी केवल 6.5 वर्ष बढ़ी. इस रिपोर्ट के अनुसार, ओलशनस्की और उनकी टीम ने कहा कि हाल के वर्षों में इन क्षेत्रों में पैदा हुई लड़कियों के 100 वर्ष तक पहुंचने की संभावना केवल 5.3% है, जबकि लड़कों के 1.8% होने की संभावना है.
नहीं हो रहा दवाइयों का फायदा
लगातार दवाइयों में हो रहे शोध ने कई लोगों को 70, 80 और यहां तक कि 90 साल तक जीने में मदद की है, लेकिन औसत लाइफ एक्सपैक्टैंसी को और ज्यादा बढ़ाना थोड़ा मुश्किल है. ओलशनस्की ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि भले ही आम बीमारियों या दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों को खत्म कर दिया जाए, लेकिन लोग बुढ़ापे से ही मरेंगे. उन्होंने कहा, 'हमारे आंतरिक अंगों के काम करने की शक्ति भी घट रही है, जिसके कारण बहुत ज्यादा समय तक जीवित रहना लगभग असंभव हो गया है.'