
पीरियड्स (माहवारी) के उन मुश्किल भरे 4-5 दिनों में महिलाओं को वैसे तो आराम करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस दौरान कई महिलाओं को थकान, दर्द और मूड स्विंग्स होते हैं. लेकिन वहीं कई महिलाएं एक्सरसाइज करनी छोड़ देती हैं तो कई महिलाएं एक्सरसाइज करती रहती हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सही तरह की एक्सरसाइज पीरियड्स के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि कौन सी एक्सरसाइज पीरियड्स में करनी चाहिए, वेट ट्रेनिंग या फिर कार्डियो. इस बारे में एक्सपर्ट्स और रिसर्च क्या कहती हैं, ये जान लीजिए.
पीरियड्स में एक्सरसाइज करें या नहीं?

मेडिकल न्यूज टुडे के मुताबिक, पीरियड्स के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर गिर जाता है. इसकी वजह से थकान, लो एनर्जी, पेट दर्द, बैक पेन और चिड़चिड़ापन महसूस होना आम है. Cleveland Clinic के मुताबिक, इस समय शरीर का पेन टॉलरेंस अलग होता है और ओवर-एक्सर्शन से बचना चाहिए.
Dr. Stacy Sims जो महिलाओं की फिटनेस और हार्मोनल हेल्थ पर रिसर्च करती हैं, बताती हैं कि पीरियड्स के शुरुआती दिनों में हल्की से मध्यम वेट ट्रेनिंग की जा सकती है, लेकिन हैवी लिफ्टिंग से बचना चाहिए.
मेनस्ट्रुअल फेज में हल्का कार्डियो या लो-इंटेंसिटी वेट ट्रेनिंग क्रैम्प्स कम कर सकता है जबकि हेवी लिफ्टिंग से बचना चाहिए. वर्ल्ड हेल्थ एक्सपर्ट्स और गाइनो स्पेशलिस्ट्स का कहना है कि साइकल के हिसाब से एक्सरसाइज चुनें तो हॉर्मोन बैलेंस भी बेहतर रहता है.
हेल्थलाइन के मुताबिक, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन और यूएस वुमेंस हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है, पीरियड्स (मेनस्ट्रुअल फेज, डेज 1-5) में एक्सरसाइज करने से कोई रिस्क नहीं है, बल्कि इससे मूड बेहतर होता है और क्रैम्प्स में 25 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है.
इस समय लो-इंटेंसिटी कार्डियो जैसे वॉकिंग या लाइट स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की सलाह दी जाती है क्योंकि इस फेज में एस्ट्रोजन कम होता है और बॉडी में थकान महसूस होती है.
अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट (ACOG) के अनुसार, पीरियड्स के दौरान एक्सरसाइज करना पूरी तरह सुरक्षित है. रिसर्च बताती है कि फिजिकल एक्टिविटी से शरीर में 'एंडोर्फिन' रिलीज होते हैं, जिन्हें नेचुरल पेनकिलर कहा जाता है.
वेट ट्रेनिंग करें या कार्डियो?
Carehealth में कहा गया है, डॉ. लिंडसे मैथ्यूज (BIRTHFIT फाउंडर) और डॉ. क्रिस्टी कोब (OB/GYN) कहते हैं, 'पीरियड्स में लाइट कार्डियो (वॉकिंग, स्विमिंग) ब्लड फ्लो बढ़ाता है, ब्लोटिंग और दर्द कम करता है.'
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग कोच स्टेफनी मार्सेलो बताते हैं, 'लो-वॉल्यूम वेट ट्रेनिंग (लाइटर वेट्स, हाई रेप्स) ताकत बढ़ा सकती है लेकिन हेवी लिफ्टिंग से बचें क्योंकि परसेप्शन ऑफ एफर्ट ज्यादा लगता है. इंडियन फिटनेस एक्सपर्ट्स भी यही सलाह देते हैं, इस दौरान योगा या पिलाटीज जैसी जेंटल स्ट्रेंथ मूवमेंट कर सकती हैं.'
पीरियड्स में बेस्ट एक्सरसाइज
साइको पीडिया में पब्लिश हुई स्टडी के मुताबिक, लाइट कार्डियो जैसे वॉकिंग, साइक्लिंग या डांसिंग से एंडोर्फिन रिलीज होता है जो PMS लक्षण और डिप्रेशन कम करते हैं.
बॉडीवेट एक्सरसाइज या लाइटर वेट (जैसे स्क्वॉट्स, ब्रिज पोज) से सर्कुलेशन बेहतर होता है लेकिन हाई वॉल्यूम अवॉइड करें और हैवी लिफ्टिंग एक्सरसाइज से बचें.
Clue.com के मुताबिक, रिसर्च बताती है कि अगर हेवी फ्लो, सीवियर क्रैम्प्स या थकान ज्यादा हो तो हाई-इंटेंसिटी कार्डियो या हेवी वेट ट्रेनिंग न करें, क्योंकि डिहाइड्रेशन बढ़ सकता है.