डायबिटीज (Diabetes) की समस्या आजकल के समय में काफी आम हो गई है. भारत में भी अधिकतर लोग डायबिटीज की समस्या से जूझ रहे हैं. डायबिटीज होने पर सबसे जरूरी होता है कि शरीर में ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन करके रखा जाए. शरीर में ग्लूकोज का लेवल अधिक होने के कारण डायबिटीज की समस्या का सामना करना पड़ता है. डायबिटीज (Diabetes Warning signs) की समस्या होने पर मरीज के पैंक्रियाज या तो इंसुलिन का उत्पादन बिल्कुल भी नहीं कर पाते या बहुत कम मात्रा में करते हैं. इंसुलिन एक हार्मोन है जो आमतौर पर पैंक्रियाज से निकलता है. यह ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने की अनुमति देता है, जहां इसका इस्तेमाल एनर्जी के लिए किया जाता है. टाइप 1 डायबिटीज में पैंक्रियाज में इंसुलिन बन ही नहीं पाता. वहीं, टाइप 2 डायबिटीज में इंसुलिन काफी कम मात्रा में बनता है. शरीर में ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन रखने के लिए अधिक मात्रा में इंसुलिन की आवश्यकता होती है.
बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिन्हें पता ही नहीं होता कि उन्हें डायबिटीज की समस्या है. किसी व्यक्ति को डायबिटीज है या नहीं इस बात का पता आंखों से चल सकता है. आज हम आपको आंखों में दिखने वाले कुछ ऐसे संकेतों के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आपको यह पता करने में आसानी होगी की आपको डायबिटीज है या नहीं-
धुंधलापन- अगर आपको आंखों में धुंधलापन नजर आ रहा है तो यह डायबिटीज का एक संकेत हो सकता है. ब्लड शुगर लेवल को कंट्र्रोल करने से इस समस्या को ठीक किया जा सकता है. कई बार इसे ठीक होने में कुछ महीनों का समय भी लग जाता है.
मोतियाबिंद- डायबिटीज के मरीजों में मोतियाबिंद की समस्या समय से पहले ही होने लगती है. अगर आपको डायबिटीज है तो आपकी यह समस्या काफी ज्यादा बढ़ सकती है.
ग्लूकोमा- यह तब होता है जब तरल पदार्थ आंखों से बाहर नहीं निकल पाते. इससे आंखों पर दबाव पड़ता है. इससे आंखों की नसों और ब्लड सेल्स को नुकसान पहुंचता है, जिससे देखने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. डायबिटीज के मरीजों में ग्लूकोमा होने की आशंका काफी ज्यादा रहती है. ऐसे में अगर आपको सिरदर्द, आंखों में दर्द, धुंधलापन या आंखों में पानी आने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो यह ग्लूकोमा और डायबिटीज का कारण हो सकता है. जरूरी है कि आप तुरंत इसकी जांच करवाएं.
डायबिटिक रेटिनोपैथी- डायबिटिक रेटिनोपैथी एक ऐसी समस्या है जो ब्लड शुगर से पीड़ित व्यक्ति की रेटिना को प्रभावित करती है. यह रेटिना तक रक्त पहुंचाने वाली बेहद पतली नसों के क्षतिग्रस्त होने से होता है. अगर समय पर इसका इलाज नहीं करवाया गया तो व्यक्ति अंधेपन का शिकार हो सकता है.