किडनी शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने का काम करती है. किडनी विषाक्त पदार्थों को ब्लैडर में भेजती है जहां यूरिन के जरिए ये शरीर से बाहर निकल जाते हैं. जब किडनी फेल हो जाती है तो ये विषाक्त पदार्थों को सही तरीके से खून से फिल्टर नहीं कर पाती है और शरीर विषाक्त पदार्थों से भर जाता है. इससे किडनी फेल हो सकती है और गंभीर स्थिति में इससे जान जाने का भी खतरा हो सकता है.
किडनी फेल होने के लक्षण- यूरिन कम हो जाना, पैरों या एड़ियों में सूजन, सांस लेने में दिक्कत, बहुत ज्यादा थकान, मिचली, उलझन, सीने में दर्द,या दौरा पड़ना किडनी फेल होने के प्रमुख लक्षण हैं. हालांकि कभी-कभी बिना किसी लक्षण के भी किडनी फेल हो जाती है.
किडनी फेल होने के कारण- किडनी फेल होने के पीछे कई कारण हैं जैसे कि किसी बीमारी की वजह से यूरिन का कम हो जाना, हार्ट अटैक, दिल की बीमारी, लिवर का फेल हो जाना, प्रदूषण, कुछ दवाएं, क्रोनिक डिजीज, डिहाइड्रेशन, किडनी ट्रॉमा, एलर्जी रिएक्शन, गंभीर इंफेक्शन और हाई ब्लड प्रेशर.
बीमारी की वजह से किडनी फेल- किडनी स्टोन, प्रोस्टेट बढ़ जाने, यूरीनरी ट्रैक्ट में ब्लड क्लॉट्स, ब्लैडर को कंट्रोल करने वाली नसों का कमजोर होना, किडनी के आसपास ब्लड क्लॉट, बॉडी में जरूरत से ज्यादा विषाक्त पदार्थों का होना, अनियंत्रित डायबिटीज, ड्रग्स और शराब की वजह से भी किडनी फेल हो जाती है.
किडनी फेल होने के स्टेज- किडनी फेल होने के 5 चरण होते हैं. पहले स्टेज में ये बहुत हल्का होता है और इसके कोई खास लक्षण महसूस नहीं होते हैं. इस स्टेज पर हेल्दी लाइफस्टाइल, संतुलित डाइट, नियमित एक्सरसाइज और वजन को कंट्रोल कर किडनी को ठीक किया जा सकता है. अगर आपको डायबिटीज है तो अपना ब्लड शुगर नियंत्रित रखें.
दूसरे चरण में भी किडनी के बीमारी के लक्षण हल्के होते हैं लेकिन इस स्टेज में यूरिन में प्रोटीन या फिर किसी तरह का फिजिकल डैमेज साफ पता चलने लगता है. इस स्टेज पर भी हेल्दी लाइफस्टाइल काम आ सकती है. लापरवाही करने पर इस स्टेज में दिल की बीमारियां, इंफ्लेमेशन या फिर ब्लड डिसऑर्डर भी हो सकता है.
तीसरे चरण में किडनी के बीमारी के मध्यम लक्षण दिखाई देने लगते हैं. किडनी ठीक से काम नहीं करती है. ब्लड टेस्ट के जरिए इसे पता लगाया जा सकता है. इस स्टेज में हाथ-पैरों में सूजन, पीठ दर्द और यूरिन के रंग में बदलाव साफ तौर पर दिखाई देने लगते हैं. लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ डॉक्टर से भी संपर्क करें.
चौथे चरण में किडनी की बीमारी थोड़ी गंभीर हो जाती है. इस स्टेज पर किडनी पूरी तरह फेल नहीं होती है लेकिन ये ठीक से काम करना बंद कर देती है. इस स्ठिति में एनीमिया, हाई ब्लड प्रेशर और हड्डी रोग जैसी समस्याएं होने लगती हैं. इस स्टेज में डॉक्टर से संपर्क कर दवाइयां लेनी शुरू कर देनी चाहिए.
पांचवें चरण में किडनी पूरी तरह फेल हो जाती है. किडनी फंक्शन बंद होने के नुकसान और अधिक दिखाई देने लगते हैं. इसमें आपको उल्टी और मिचली, सांस लेने में परेशानी, त्वचा में तेज खुजली और भी बहुत से लक्षण दिखाई देने लगते हैं. इस स्थिति में नियमित डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है.