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लाइफस्टाइल न्यूज़

कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद गंभीर साइड इफेक्ट की सरकार ने बताई वजह

कोरोना वैक्सीन
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जानलेवा कोरोना वायरस से बचने के लिए दुनियाभर में वैक्सीनेशन चल रहा है. लेकिन टीकाकरण के चलते कई तरह के साइड इफेक्ट्स भी सामने आ रहे हैं. भारत में भी वैक्सीन लगवाने के बाद बांह में दर्द, बुखार और सुस्ती जैसे कई साइड इफेक्ट्स देखने को मिले हैं. कई बार वैक्सीन लगने के फौरन बाद कुछ लोगों में प्रतिकूल असर भी देखने को मिले. 

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इसमें एंजाइटी के मामले भी सामने आए हैं. हालांकि, ये सब अस्थायी हैं और कहा जा रहा है कि वैक्सीन लगने के बाद इतना असर होना सामान्य है, और टीका कोरोना वायरस से बचने का अब तक सबसे कारगर उपायों में से एक है.  

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सरकारी पैनल की स्टडी में सामने आया है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद सामने आए गंभीर प्रतिकूल मामलों में 50 फीसदी से अधिक केस एंजाइटी से जुड़े हुए थे. नेशनल एडवर्स इवेंट्स फॉलोविंग इम्युनाइजेशन कमेटी (National AEFI Committee) ने वैक्सीनेशन के बाद 60 गंभीर मामलों के एक अध्ययन में पाया कि इनमें से 36 केस एंजाइटी से जुड़े हुए थे, जोकि 50 फीसदी से अधिक है.  

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वहीं, वैक्सीन लगवाने के बाद पांच को-एक्सीडेंटल मामलों में एक शख्स की मौत हो गई. सरकारी पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि मौत के पीछे अन्य वजहें भी हो सकती हैं. 

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एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि आबादी के लिहाज से देखा जाए तो एंजाइटी संबंधी ज्यादातर मामले महिलाओं में देखने को मिले. इसमें सुई लगवाने को लेकर डर, वैक्सीन संबंधी हिचकिचाहट शामिल है. अधिकारी ने कहा, हमें यह देखना होगा कि सुई के भय को कैसे दूर किया जाए. महिलाओं में ऐसी शिकायत ज्यादा देखने को मिली.
 

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वैक्सीन के लिहाज से देखा जाए तो इस अध्ययन में कोविशील्ड लगवाने वाले 57 और कोवैक्सीन लगवाने वाले तीन लोग शामिल थे. कुल मिलाकर इस छोटे से अध्ययन में पाया गया कि वैक्सीनेशन के लाभ नुकसान के जोखिम से अधिक हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि नुकसान के सभी उभरते संकेतों को लगातार ट्रैक किया जा रहा है. समय-समय पर अत्यधिक सावधानी के उपाय के रूप में मामलों की समीक्षा की जा रही है.
 

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विचार-विमर्श और समीक्षा के बाद नेशनल एईएफआई कमेटी से मिली मंजूरी के बाद ये रिपोर्ट 27 मई को पूरी हुई. इसे 8 जुलाई को स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपा गया.
 

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कोविड वैक्सीनेशन के बाद कैजुअल्टी असेसमेंट के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने विशेष समिति का गठन किया था. इसमें कॉर्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, मेडिकल स्पेशलिस्ट, प्रसूति-स्त्री रोग विशेषज्ञ शामिल हैं.

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