पटाखों पर लगे बैन के बाद जहां एक ओर देशभर के लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञों ने कुछ चौंकाने वाले आंकड़ों का खुलासा किया है.
हाल ही में हुए अध्ययन की रिपोर्ट बताया गया है कि दिल्ली में फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित रोगियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. आश्चर्यजनक बात यह है कि इसमें अधिकांश मरीज ऐसे हैं, जो धूम्रपान नहीं करते.
लंग कैंसर को लेकर एक आम धारणा यह है कि यह बीमारी 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को होती है और ऐसे लोगों को अपना शिकार बनाती है जो धूम्रपान या सिगरेट पीते हैं.
सिगरेट पीने या धूम्रपान को लंग कैंसर की सबसे बड़ी वजह माना जाता है.
लेकिन अध्ययन की रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि लंग कैंसर के मरीजों में आई वृद्धि स्मोकिंग के कारण नहीं, बल्कि वायु प्रदूषण के कारण हुई है.
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण दो साल पहले ही हाई कोर्ट ने दिल्ली को गैस चेम्बर कहकर संबोधित किया था.
सांस से संबंधित रोग विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 15 वर्षों में लंग कैंसर से पीड़ित मरीजों की संख्या में 40 फीसदी बढ़ोतरी हुई है.
विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषित वायु में पाया जाने वाला PM2.5 पार्टिकल इस बीमारी का कारण बन रहा है. सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि नॉन स्मोकर्स में पैदा होने वाला लंग कैंसर 30 से 45 आयुवर्ग के लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है.
ऐसे में अगर इस बार भी दिवाली के दौरान दिल्ली में पटाखों की गूंज होती है तो इस बीमारी की चपेट में किशोरों आने की आशंका बढ़ जाएगी. क्योंकि दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर 20 से 30 फीसदी बढ़ जाता है.
इसलिए डॉक्टरों का कहना है कि दिवाली का सेलिब्रेशन इकोफ्रेंडली होना चाहिए. वैसे भी दीपावली दीपों का त्योहार है. इसमें पटाखों का क्या काम.