
भारत में आपने बड़े-बुजुर्गों से यह कहावत तो सुनी ही होगी, कि जीने के लिए क्या चाहिए...दो वक्त की रोटी. यह कहावत भारत के मित्र देश अफगानिस्तान में जाकर थोड़ी सी बदल जाती है. यहां कहा जाता है कि जीने के लिए क्या चाहिए...दो वक्त की नान. जी हां, नान अफगानियों (afghani naan) के खाने का अहम हिस्सा है. यह मान लीजिए कि वहां नॉन के बिना दस्तरखान अधूरा है.
नान अफगानिस्तान के भोजन का अहम और जरूरी हिस्सा है. नान एक तरह की रोटी ही है, बस उसको बनाने का तरीका थोड़ा अलग है. अफगान के हर सूबे, बाजार में नान मिलती है. यह अफगानी खुराक का अहम हिस्सा है.

नान के बिना अफगान में दस्तरखान अधूरा
सब्जी हो या गोश्त अफगान के लोग नान के साथ आराम से खा सकते हैं. यह यहां अफगानी के दस्तरखान की शान होती है. नान अफगानियों की इतनी फेवरेट हैं कि उन्हें कोई भी खाना दें, नान के बिना सब अधूरा है. मतलब उसके बिना उनकी भूख मिटेगी ही नहीं.

कैसे बनती है अफगानी नान
अफगानी नान को बनाने का तरीका (afghani naan recipe) रोटी से अलग होता है. इसे बाकी नान की तरह तंदूर में तैयार किया जाता है. यह आटे से बनी होती है. तंदूर में डालने के बाद जब यह लाल हो जाती है तो इसे निकाल लिया जाता है और परोसा जाता है.