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एविल आई फैशन ट्रेंड या बुरी नजर से बचाने वाला ताबीज? रोम-तुर्की से दुनिया में फैला अंधविश्वास! ऐसा है 5000 साल पुराना इतिहास

बुरी नजर से बचने के लिए आजकल हर जगह एक नीली आंख की आकृति देखी जाती है. ऐसा माना जाता है कि यह एक ऐसा ताबीज है जो बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है. यह एविल आई क्या है, इतिहास क्या है, यह कैसे बनती है, इसका कलर नीला ही क्यों होता है, ऐसे कई सवालों के जवाब इस आर्टिकल में जानेंगे.

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ऐसा माना जाता है कि Evil Eye एक ऐसा ताबीज है जो बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है.
ऐसा माना जाता है कि Evil Eye एक ऐसा ताबीज है जो बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है.

The Evil Eye: नजर लगना या नजर लग जाना, एक आम भारतीय लोकविश्वास (Folk Belief) है, जिसे 'Evil Eye' भी कहा जाता है. इसका मतलब है कि किसी की बुरी नजर लगना, जलन होना या ईर्ष्या होना. आसान शब्दों में समझें तो जब किसी की सुंदरता, व्यक्ति, बच्चे, जानवर, वस्तु या संपत्ति, सफलता या कोई अच्छी चीज देखकर कोई व्यक्ति ईर्ष्या करता है या बिना सराहना किए देखता है तो ऐसा माना जाता है कि उसकी 'बुरी नजर' उस व्यक्ति या वस्तु को नुकसान पहुंचा सकती है. इसे आम बोलचाल में 'नजर लगना' कहते हैं. हालांकि वैज्ञानिक रूप से 'नजर लगना' कोई अवधारणा नहीं है, यह सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक या सांस्कृतिक प्रभाव है.

भारत के अलावा कई अन्य देशों जैसे कि मध्य पूर्वी देश, ग्रीस, तुर्की में भी ऐसी लोक मान्यताएं हैं. भारत में लोग बुरी नजर से बचने के लिए कई पारंपरिक और धार्मिक उपाय करते हैं- जैसे काला टीका लगाना, नींबू और हरी मिर्च लटकाना, लाल मिर्च जलाना, नजर उतारना, लाल-काला धागा बांधना या ताबीज बांधना आदि. 

समय के साथ बुरी नजर से बचने के लिए अलग-अलग तरीकों पर लोगों का विश्वास विकसित हुआ है. ऐसे में एक नीले-सफेद रंग की आंख जैसी कांच की डिस्क भी पिछले कुछ दशकों से बुरी नजर से बचाने का प्रतिनिधित्व कर रही है. इस नीले रंग की आंख को आमतौर पर एविल आई (Evil Eye) कहा जाता है.

Britannica के मुताबिक, लेवेंट, अफगानिस्तान, दक्षिणी स्पेन और मैक्सिको में एविल आई वाले ताबीज लोगों को गिफ्ट में दिए जाते हैं. इस्लाम में बुरी नजर का उल्लेख कुरान में किया गया है और मुस्लिम बुरी नजर की शक्ति और किसी व्यक्ति पर इसके बुरे प्रभाव में अत्यधिक विश्वास करते हैं. एविल आई को अरबी में ʿAyn-Al-Hasood (ईर्ष्यालु की आंख) के रूप में जाना जाता है. हालांकि बुरी नजर की अवधारणा हजारों साल पुरानी है लेकिन इसे आधुनिक समय में मशहूर हस्तियों, फैशन डिजाइनरों और जूलरी मेकर्स द्वारा फेमस बना दी गई है.

आपने देखा होगा कई लोग एविल आई के ब्रेसलेट पहनते हैं, घर के बाहर और अंदर एसेसरीज लगाते हैं, पैर में एविल आई वाले एंकल पहनते हैं या किसी न किसी रूप में एविल आई को अपनी डेली लाइफ में शामिल करते हैं. 

कई लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं होगी कि आखिर ये नीली आंख का उपयोग नजर से बचाने के लिए क्यों किया जाता है या फिर ये है क्या? बस कहीं से सुना कि इसे अपने पास रखने से नजर नहीं लगती और उनकी बात को मान लिया. लेकिन आज हम इस आर्टिकल में आपको इस नीली आंख के बारे में वो सबकुछ बताएंगे जो आपको जानना काफी जरूरी है.

क्या है ये एविल आई?

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Britannica.com के मुताबिक, ग्रीक एविल आई ग्रीस और पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा पहचाने जाने वाले निशानों (Symbol) में से एक है. ऐसा माना जाता है कि यह एक ऐसा ताबीज है जो बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है. यह ताबीज आमतौर पर एक आंख के आकार का होता है. बुरी नजर पारंपरिक रूप से एक नीली आंख होती है जिसमें काली पुतली और सफेद आइरिस होती है. 

ग्रीक डेविल आई, एक सुरक्षात्मक चिन्ह और अंधविश्वास है जो पीढ़ियों से चला आ रहा है. ऐसा माना जाता है कि एक व्यक्ति ईर्ष्या या द्वेष की दृष्टि किसी दूसरे व्यक्ति का नुकसान पहुंचा सकती है और इससे बचने के लिए, व्यक्ति डेविल आई को ताबीज, ब्रेसलेट या एंकल के रूप में पहनता है.

सदियों से लोग कर रहे हैं विश्वास

एविल आई को दुनिया के सबसे पुराने अंधविश्वासों में से एक माना जाता है, जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रीक और रोमन लिपि में भी मिलता है. मान्यता यह है कि किसी व्यक्ति की आंखें नेगेटिव असर डाल सकती हैं, जिससे उस व्यक्ति को नुकसान हो सकता है जिस पर यह नजर जाती है.

बुरी नजर में विश्वास मध्य पूर्व, पश्चिम अफ्रीका, मध्य अमेरिका और मैक्सिको, मध्य एशिया और यूरोप के कई हिस्सों, खासकर भूमध्य सागर में व्यापक रूप से फैला हुआ है. यह प्राचीन ग्रीस और रोम में यहूदी, इस्लामी, बौद्ध और हिंदू परंपराओं के साथ अन्य लोक समाजों में मानी जाती थी और आज के आधुनिक समय में यह पूरी दुनिया में कायम है.

उदाहरण के लिए पूर्वी यूरोप, दक्षिणी यूरोप और उत्तरी एशिया में रहने वाले एक जातीय समूह को स्लाविक लोग (Slavs) कहते हैं. उनकी एक लोककथा के मुताबिक, बुरी नजर से पीड़ित एक पिता ने अपने बच्चों को चोट पहुंचाने से बचने के लिए खुद को अंधा कर लिया था. हालांकि, ज्यादातर मामलों में समृद्धि और सुंदरता के प्रति द्वेष और ईर्ष्या को नजर लगने का कारण माना जाता है. 

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फैशन ट्रेंड में आई

आजकल, एविल आई सिर्फ बुरी नजर से बचाने वाला ताबीज नहीं है बल्कि यह लोकप्रिय संस्कृति और आभूषणों के डिजाइन में एक महत्वपूर्ण प्रतीक बन गया है. फैशन से लेकर सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट तक, एविल आई एक ट्रेंडी प्रतीक बन गया है. कई लोग इसे एक फैशनेबल एक्सेसरीज के रूप में पहनते हैं. यह हार और कंगन से लेकर झुमके और अंगूठियों तक सभी तरह के गहनों में दिख जाता है. इसके अलावा यह कपड़ों, घर की सजावट, फोन केस और यहां तक कि इसके टैटू भी बनवाते हैं.

कोबाल्ट-नीली आंख की यूनीक डिजाइन को किम कार्दशियन को कई मौकों पर ब्रेसलेट और हेडपीस के रूप में पहने हुए देखा गया है जबकि फैशन मॉडल गिगी हदीद ने 2017 के आखिर में इस चलन को अपनाया था. इसके अलावा कई बॉलीवुड सेलेब्स भी इस सिंबॉल वाली एसेसरीज पहने हुए दिखते हैं. डोल्से एंड गब्बाना और केन्जो जैसे लग्जरी ब्रांडों ने भी अपने कलेक्शन में इसको शामिल किया जिसके कारण यह और चर्चा में आया. 

5000 साल पुराना इतिहास

BBC के मुताबिक, सीरिया के टेल ब्राक में खुदाई के दौरान जिप्सम अलबास्टर (नरम और पारदर्शी पत्थर) से बनी आंखों की मूर्तियां मिली हैं और माना जाता है कि ये 3500 ईसा पूर्व से पहले की हैं. हमजा, हथेली के आकार का एक ताबीज है जिसके बीच में एक आंख होती है जिसे उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में यहूदी, ईसाई और मुस्लिम पहनते हैं.

Indian Journal of Scientific Research(IJSR) के मुताबिक, आधुनिक ग्रीस में इस नीली-सफेद आंख को काको माटी या माटी 'आंख' के रूप में जाना जाता है. मध्य पूर्व और तुर्की के अधिकतर इलाकों में इसे अरबी में अल-ऐन के नाम से भी जाना जाता है. इसका इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है जो कि पुरापाषाण युग से भी पुराना है. यह प्रतीक विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में मौजूद है लेकिन सबसे ज़्यादा यहूदी, मुस्लिम और ईसाई धर्मों में चलन में है. बुरी नजर की शक्ति के बारे में सबसे पुरानी मान्यता प्राचीन ग्रीक और रोमन काल से चली आ रही है.

बुरी नजर के प्रतीक का उपयोग प्राचीन काल से 'बुरी नजर' के खिलाफ एक सुरक्षात्मक ताबीज के रूप में किया जाता रहा है और आज भी यह ग्रीक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है. प्रत्येक संस्कृति में, बुरी नजर और इसके अर्थ की अलग-अलग व्याख्याएं हैं लेकिन उन सभी में एक बात समान है कि इसे दुर्भाग्य से जोड़ा जाता है. यानी कि यदि किसी की बुरी नजर पड़ती है तो इंसान के बुरे दिन शुरू हो जाते हैं.

बुरी नजर में विश्वास सिकंदर द्वारा पूर्व में भारत तक फैलाया गया था और सदियों बाद रोमन साम्राज्य द्वारा दक्षिण और उत्तर में फैलाया गया था, और इंग्लैंड और यूरोप के सेल्टिक भागों में मध्य युग तक अच्छी तरह से कायम रहा. आज के समय में बुरी नजर में विश्वास अब अंधविश्वास से कहीं आगे निकल चुका है, कई प्रसिद्ध विचारकों ने इसकी सत्यता की पुष्टि की है.

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ग्रीक दार्शनिक प्लूटार्क ने अपने सिम्पोजियक्स में वैज्ञानिक व्याख्या सुनाते हुए कहा था, मानव आंख में ऊर्जा की अदृश्य किरणें छोड़ने की शक्ति होती है जो कुछ मामलों में बच्चों या छोटे जानवरों को मारने के लिए पर्याप्त थीं. उन्होंने काले सागर के दक्षिण में लोगों का हवाला देते हुए कहा कि वे अभिशाप (किसी को हानि पहुंचाने या उसे दुख पहुंचाने का शाप) देने में असाधारण रूप से कुशल थे. ऐसा कहा जाता है कि अभिशाप देने में सबसे अधिक कुशल नीली आंखे वाले लोग ही होते थे.

कैसे बनाई गई एविल आई?

तुर्की और ग्रीस की संस्कृतियों का मानना ​​था कि अभिशाप उन लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा है जिनकी अत्यधिक प्रशंसा की जाती है. ऐसे में तुर्की ने नजर बोनकुक आकर्षण बनाया, जिसे तुर्की आई बीड के नाम से भी जाना जाता है. इसकी विशेषता एक गहरे रंग की आंख है जो नीले रंग की बेस पर बनी है.

आंख के मनके का उद्देश्य दुनिया को घूरकर बुरी नजर को दूर भगाना है ताकि आप किसी भी तरह की हानि से सुरक्षित रहें. इसे बनाने के बाद से तुर्क और कई अन्य संस्कृतियों में बुरी नजर के मनके हर उस चीज पर लगाए जाने लगे थे जिसे वे अभिशाप से बचाना चाहते थे. इनमें बच्चे, पालतू जानवर, उनके घर और वे स्वयं शामिल थे.

कैसे काम करती है ये एविल आई?
माना जाता है कि ग्रीक एविल आई आपके ऊपर आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करने और उसे दूर रखने में सक्षम है. इसे पहनने वाले व्यक्ति को बुरी चीजों से बचाता है, जिसमें शाप और नकारात्मक एनर्जी शामिल हैं. लोग इसे किसी भी तरह से अपनी लाइफस्टाइल में शामिल करते हैं.

नीले कांच की शक्ति

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तुर्की, ग्रीस और आस-पास के देशों में पानी को बेहद कीमती माना जाता है. इन देशों के कुछ हिस्से बेहद शुष्क और बंजर हैं इसलिए पानी विकास और समृद्धि का प्रतीक है. इसके बिना, इन संस्कृतियों का मानना ​​है कि जीवन मुरझा जाएगा और मर जाएगा- जो गलत नहीं है.

इस कारण तुर्की आंख के मनके को नीले रंग के दो शेड्स से पहचाना जाता है. एक गहरा नीला और हल्का नीला. साथ ही सफेद और कभी-कभी पीला रंग. मनके के बीच में एक काला बिंदु है जो हमेशा सतर्क, सुरक्षात्मक आंख का प्रतिनिधित्व करता है.नीला रंग अच्छे कर्म और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और अन्य संस्कृतियों में बुरी नजर के अभिशाप से सुरक्षा का भी प्रतीक है. हल्का नीला रंग आकाश का प्रतिनिधित्व भी करता है जो सत्य का प्रतीक है और बुराई से सुरक्षा प्रदान करता है.

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