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सुप्रीम कोर्ट ने लॉन्च किया FASTER सिस्टम, अब जेलर को तेजी से मिलेगी अदालती फैसलों की जानकारी

Supreme court launches FASTER: अदालत के फैसले की कॉपी जेल अधिकारियों के पास न पहुंच पाने से कई बार कैदियों की रिहाई समय से नहीं हो पाती थी. अब FASTER सिस्टम के चलते ऐसी गड़बड़ियों की गुंजाइश नहीं रह जाएगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने FASTER सिस्टम लॉन्च किया.
सुप्रीम कोर्ट ने FASTER सिस्टम लॉन्च किया.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जस्टिस रमन्ना ने लॉन्च किया FASTER
  • इससे आदेश की गोपनीयता भी बनी रहेगी

भारत के मुख्य न्यायधीश (Chief Justice of India) न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना (CJI NV Ramana) ने फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रानिक रिका‌र्ड्स  (FASTER) का अत्याधुनिक सिस्टम लॉन्च किया. इस आधुनिकतम और तीव्रतम तकनीक यानी FASTER सिस्टम के जरिए अदालत के फैसलों की जानकारी जेल अधिकारियों को तेजी से मिल सकेगी. साथ ही उस पर तेजी से आगे की कार्रवाई  संभव हो सकेगी.

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने FASTER सिस्टम का शुभारंभ करते हुए उस बात का भी जिक्र किया जिसकी वजह से ये सिस्टम जल्दी शुरू किया गया. जस्टिस रमन्ना ने कहा कि पिछले साल जुलाई में मीडिया में एक खबर आई थी कि कोर्ट के आदेश के बाद भी कुछ कैदियों को जेल से रिहा नहीं किया गया. इस पर फिर कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की थी. वहीं, इस सिस्टम का बीज पड़ा था.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा, FASTER का मकसद कोर्ट के आदेश को तेज़ी से जेल अधिकारियों तक पहुंचाना है. CJI ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और अन्य हाईकोर्टों के आदेशों, निर्देशों और फैसलों को बिना किसी छेड़छाड़ के सुरक्षित सही जगह तक पहुंचाना ही इसका मकसद है. इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए हमने 73 नोडल अधिकारियों को हाईकोर्ट के स्तर पर नामित किया है. इसके लिए खास तौर पर सुरक्षित ईमेल आईडी का पूरा सिस्टम भी बनाया गया है.

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CJI जस्टिस रमन्ना ने कहा कि इन नोडल अधिकारियों की कुल 1,887 ई-मेल आईडी हैं, जिनके जरिये तेजी से जमानत के आदेश अधिकारियों तक पहुंचाए जाएंगे. इन आदेशों पर नोडल अधिकारियों के डिजिटल हस्ताक्षर भी होंगे ताकि किसी भी गड़बड़ी की कोई गुंजाइश ही न रहे.

इसके अलावा FASTER तकनीक से कोर्ट आदेश की गोपनीयता और सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है. इस सिस्टम के दूसरे चरण में आदेश की फिजिकल कॉपी का भी प्रावधान होगा.

 

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