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छात्रा का धर्मांतरण केस: SC ने दिए CBI जांच के आदेश, तमिलनाडु सरकार से कहा- इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं

तंजावुर की 12वीं में पढ़ने वाली लड़की की आत्महत्या के मामले की सीबीआई जांच के खिलाफ दायर अर्जी को खारिज कर दिया. मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था.

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सुप्रीम कोर्ट (File Pic)
सुप्रीम कोर्ट (File Pic)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 19 जनवरी को हुई थी छात्रा की मौत
  • जबरन धर्म परिवर्तन कराने के दबाव का आरोप

तमिलनाडु में धर्म परिवर्तन के कथित दबाव की वजह से छात्रा द्वारा की गई खुदकुशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर सुनवाई टाल दी. सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाले तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की याचिका पर नोटिस जारी किया है. 

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि सीबीआई जांच के लिए हाई कोर्ट के आदेश का विरोध करके मामले को प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं. इस दौरान शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु पुलिस को सभी सबूतों और दस्तावेज सीबीआई को सौंपने का आदेश जारी किया. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सीबीआई को जबरन धर्म परिवर्तन के आरोपों की भी जांच करनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है. साथ ही केंद्र को भी जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए भी 2 हफ्ते का समय दिया.
 

तंजावुर में क्या हुआ था?

तंजावुर में 12वीं क्लास की स्टूडेंट ने जहर खा लिया था, जिसे 9 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. छात्रा की 19 जनवरी को मौत हो गई थी. आरोप था कि छात्रा से मिशनरी बोर्डिंग स्कूल सेंट माइकल्स गर्ल्स होम में जबरन कमरों की सफाई कराई जाती थी. इसके अलावा उस पर ईसाई धर्म अपनाने का भी दबाव था. इससे तंग आकर लड़की ने जहर खाकर जान देने की कोशिश की थी. तत्काल उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां होश में आने पर उसने डॉक्टरों को उत्पीड़न की बात बताई थी.

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पुलिस ने भी उससे पूछताछ की थी और उसके आधार पर वॉर्डन को अरेस्ट कर लिया था. हालांकि तमाम कोशिशों के बाद भी छात्रा की 19 जनवरी को मौत हो गई थी. 

पीड़िता के पिता ने किया हाई कोर्ट का रुख

इस मामले में तब और तूल पकड़ लिया, जब पीड़िता के पिता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए. पीड़िता के पिता की शिकायत के बाद इस पर 31 जनवरी को हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए. इसी आदेश के खिलाफ तमिलनाडु पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

 

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