scorecardresearch
 

'प्रत्येक प्राइवेट प्रॉपटी पर सरकार का हक नहीं...', सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति पर सुनाया बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के दायरे से संबंधित एक मामले में सुनाया है. यह अनुच्छेद निजी संपत्तियों और ‘सार्वजनिक भलाई’ के लिए संपत्ति के अधिग्रहण और पुनर्वितरण पर राज्य की शक्ति से संबंधित है. मंगलवार को CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 7:2 के बहुमत से फैसला सुनाया.

Advertisement
X
सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति से जुड़ी याचिकाओं पर फैसला सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति से जुड़ी याचिकाओं पर फैसला सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति से जुड़े मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने साफ किया है कि प्रत्येक निजी संपत्ति पर सरकार का अधिकार नहीं है और वो आम भलाई के नाम पर निजी संपत्तियों को अपने कब्जे में नहीं ले सकती है. इसके साथ ही SC ने सरकार से निजी संपत्ति पर कब्जे का अधिकार छीन लिया है और 46 साल पुराने अपने फैसले को पलट दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के दायरे से संबंधित एक मामले में सुनाया है. यह अनुच्छेद निजी संपत्तियों और ‘सार्वजनिक भलाई’ के लिए संपत्ति के अधिग्रहण और पुनर्वितरण पर राज्य की शक्ति से संबंधित है. मंगलवार को CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 7:2 के बहुमत से फैसला सुनाया. जस्टिस बीवी नागरत्ना फैसले से आंशिक रूप से असहमत थे. जबकि जस्टिस सुधांशु धूलिया ने सभी पहलुओं पर असहमति जताई.

बेंच में सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह का नाम शामिल था.

सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि संविधान के तहत राज्यों को आम भलाई के लिए सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को अपने कब्जे में लेने का अधिकार नहीं है. बेंच ने कहा, राज्य कुछ मामलों में निजी संपत्तियों पर दावा कर सकते हैं.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने 1978 के फैसले को पलटा

SC के नए फैसले ने 1978 में जस्टिस कृष्णा अय्यर के पिछले निर्णय को खारिज कर दिया है. जस्टिस अय्यर ने फैसला सुनाया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत वितरण के लिए राज्य द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1960 और 70 के दशक में समाजवादी अर्थव्यवस्था की ओर झुकाव था, लेकिन 1990 के दशक से बाजार उन्मुख अर्थव्यवस्था की ओर ध्यान केंद्रित किया गया. भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा किसी विशेष प्रकार की अर्थव्यवस्था से दूर है, बल्कि इसका उद्देश्य विकासशील देश की उभरती चुनौतियों का सामना करना है.

'कुछ संपत्ति भौतिक संसाधान हो सकती है'

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, निजी सम्पति समुदाय का भौतिक ससाधन नहीं है. कुछ संपत्ति भौतिक संसाधन हो सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले 30 सालों में गतिशील आर्थिक नीति अपनाने से भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सात जजों का एकमत निर्णय सुनाया और कहा, हम मानते हैं कि अनुच्छेद 31सी को केशवानंद भारती मामले में जिस हद तक बरकरार रखा गया था, वह समुचित है और बरकरार है. हम सभी इस पर एकमत हैं. निरस्तीकरण को प्रभावी बनाना और अधिनियमन नहीं करना विधायी इरादे से मेल नहीं खाएगा और मूल प्रावधान को छोटा कर देगा. संविधान में 42वें संशोधन की धारा 4 का उद्देश्य अनुच्छेद 39(बी) को निरस्त करना और उसी समय प्रतिस्थापित करना था. लिहाजा, हम निष्कर्ष निकालते हैं कि असंशोधित अनुच्छेद 31सी लागू रहेगा.

Advertisement

SC ने 16 याचिकाओं पर सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति से जुड़ी 16 याचिकाओं पर फैसला सुनाया है, जिसमें मुंबई के प्रॉपर्टी मालिकों की याचिका भी शामिल है. मामला 1986 में महाराष्ट्र में हुए कानून संशोधन से जुड़ा है, जिसमें सरकार को प्राइवेट बिल्डिंग को मरम्मत और सुरक्षा के लिए अपने कब्जे में लेने का अधिकार मिला था. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह संशोधन भेदभावपूर्ण है.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement