इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधान पीठ, लखनऊ बेंच और सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वाले 90 अधिवक्ताओं अब सीनियर एडवोकेट बन गए हैं. 90 अधिवक्ताओं को सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया है, जिनमें पांच महिलाएं भी शामिल हैं. इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट्स की संख्या अब 230 पहुंच गई है.
सीनियर एडवोकेट्स को नामित किए जाने के संबंध में आधिकारिक लिस्ट जारी हो गई है. हाईकोर्ट की रजिस्ट्रार जनरल मंजीत सिंह श्योराण की ओर से जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक अब सीनियर एडवोकेट्स की संख्या प्रयागराज स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधान पीठ में 108 से बढ़कर 173 और लखनऊ बेंच में 32 से बढ़कर 57 हो गई है.
जिन पांच महिला वकीलों को सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला है, उनमें अनिता त्रिपाठी, अर्चना सिंह, आरती राज, बुशरा मरियम के नाम शामिल हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से गठित समिति ने हाल ही में वरिष्ठ अधिवक्ता के लिए इंटरव्यू आयोजित किए थे. फुल कोर्ट मीटिंग में इन अधिवक्ताओं को विधिक ज्ञान, अनुभव और न्यायिक प्रक्रिया में योगदान, इन सभी पहलुओं का ध्यान रखते हुए सीनियर एडवोकेट का दर्जा देने पर सर्वसम्मति से मुहर लग गई.
ये अधिवक्ता बने सीनियर एडवोकेट
जिन 90 अधिवक्ताओं को सीनियर एडवोकेट का दर्जा देने के प्रस्ताव पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुहर लगाई है, उनमें अजय कुमार सिंह और अखिलेश कुमार श्रीवास्तव के नाम हैं. इस लिस्ट में आलोक कुमार यादव, अमित कृष्णा, अनिल कुमार मल्होत्रा, अनुपम कुलश्रेष्ठ, अनुराग पाठक, अपुल मिश्रा, आशीष कुमार सिंह, बालानाथ मिश्रा, बरसत अली खान, बृजभूषण पाल के नाम भी शामिल हैं.
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चंद्र प्रकाश उपाध्याय, धीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, गौरव कक्कड़ और हनुमान प्रसाद दुबे के नाम भी शामिल हैं. इमरान महबूब खान, कृष्ण मोहन मिश्रा, मुकुंद तिवारी, नरेश चंद्र त्रिपाठी भी अब सीनियर एडवोकेट होंगे. सीनियर एडवोकेट्स की लिस्ट में अब राहुल मिश्रा, शशिकांत शुक्ला, सिद्धार्थ श्रीवास्तव, सुधीर दीक्षित, स्वप्निल कुमार, सैयद अली, तरुण अग्रवाल, विक्रांत राणा के नाम भी जुड़ गए हैं.
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सीनियर एडवोकेट के लिए अर्हता क्या
सीनियर एडवोकेट बालानाथ मिश्रा के मुताबिक सीनियर एडवोकेट के लिए कम से कम 10 साल का अनुभव होना चाहिए. कानून के किसी एक क्षेत्र (दीवानी, फौजदारी, संविधान या सर्विस) में विशेषज्ञता भी जरूरी होती है. विधि के क्षेत्र में योगदान, रिपोर्टेड जजमेंट और कानूनी ज्ञान के आधार पर ही किसी वकील को सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि सीनियर एडवोकेट का दर्जा किसी भी वकील के लिए एक विशिष्ट सम्मान होता है.