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27 साल का इंतजार, अब 1 घंटे में समाधान... रिटार्यड कैमरामैनों की पेंशन का निपटा विवाद

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के हस्तक्षेप के बाद दूरदर्शन के दो सेवानिवृत्त सरकारी कैमरामैनों की पुरानी वेतन-निर्धारण शिकायत का समाधान हो गया. दोनों सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने कई बार आवेदन, ज्ञापन और अभ्यावेदन दिए, लेकिन मामला नौकरशाही प्रक्रिया में उलझा रहा.

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देवेंद्र शर्मा और एम.के. महादेव राव 1997 से जुड़े वेतन निर्धारण विवाद को लेकर लगातार विभागों के चक्कर काट रहे थे. (Photo- Representational)
देवेंद्र शर्मा और एम.के. महादेव राव 1997 से जुड़े वेतन निर्धारण विवाद को लेकर लगातार विभागों के चक्कर काट रहे थे. (Photo- Representational)

करीब 27 वर्षों से लंबित वेतन से जुड़ा एक विवाद आखिरकार महज एक घंटे में सुलझ गया. 24 दिसंबर को सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के हस्तक्षेप के बाद दूरदर्शन के दो सेवानिवृत्त सरकारी कैमरामैनों की पुरानी वेतन-निर्धारण शिकायत का समाधान हो गया. यह फैसला न केवल दोनों वरिष्ठ नागरिकों के लिए राहत लेकर आया, बल्कि प्रशासनिक देरी पर भी सवाल खड़े करता है.

दरअसल, देवेंद्र शर्मा और एम.के. महादेव राव, दोनों वर्ष 1997 से जुड़े वेतन निर्धारण विवाद को लेकर लगातार विभागों के चक्कर काट रहे थे. उस समय लागू हुए केंद्रीय सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम, 1997 के नियम-8 के तहत उन्हें एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि का लाभ मिलना था, लेकिन यह लाभ उन्हें नहीं दिया गया. इस चूक का असर उनके पूरे वेतनमान और बाद में पेंशन पर भी पड़ा.

बीते 27 वर्षों में दोनों सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने कई बार आवेदन, ज्ञापन और अभ्यावेदन दिए, लेकिन मामला नौकरशाही प्रक्रिया में उलझा रहा. 24 दिसंबर को जब दोनों ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की, तो मंत्री ने अधिकारियों को तुरंत मामले की जांच कर समाधान करने के निर्देश दिए.

मंत्री के निर्देश के बाद मंत्रालय के अधिकारियों ने उसी दिन रिकॉर्ड की जांच की और एक घंटे के भीतर संशोधित वेतन निर्धारण आदेश जारी कर दिए. इसके साथ ही दोनों सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन को भी सही किया गया और लगभग दो दशकों के एरियर का लाभ देने का रास्ता साफ हो गया.

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अधिकारियों के अनुसार, संशोधित आदेश पूरी तरह से उस समय लागू नियमों और वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप हैं, जिन्हें वर्षों पहले लागू किया जाना चाहिए था. इस फैसले से दोनों वरिष्ठ नागरिकों को आर्थिक राहत मिली है.

देवेंद्र शर्मा और महादेव राव ने कहा कि दशकों की कोशिशों के बाद पहली बार उनकी बात सुनी गई और ठोस फैसला लिया गया. यह मामला दिखाता है कि लंबी प्रशासनिक देरी से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को किस तरह मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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