जो शहीद होते हैं वो अमर होंते हैं. वो परिवार से ऊपर देश को प्यार करते हैं. एक ऐसी ही दास्तान राजस्थान के भरतपुर की है जहां शहीद सौरभ कटारा की कहानी आपका कलेजा चीर कर रख देगी. शादी के बस आठ दिन हुए थे लेकिन वतन की पुकार सुनकर सौरभ ने ड्यूटी ज्वाइन की. 8 दिसंबर को शादी और 16 दिसंबर को ड्यूटी लेकिन होनी ने कुछ और ही लिख रखा था. सिर्फ 22 साल की उम्र में कुपवाडा में सौरव शहीद हो गए. 24 दिसंबर को उन्होंने वतन के लिए अपनी कुर्बानी दे दी. 25 दिसंबर को उनका अंतिम संस्कार किया गया और इसी दिन उनका जन्म दिन भी था. पत्नी ने सौरभ को मुखाग्नि दी और फौजी पिता ने कसम खाई कि छोटा बेटा भी फौज में जाएगा.