लालू से दोस्ती इतनी महंगी पड़ेगी, शायद रामविलास पासवान को इसका अंदाजा नहीं था. चुनाव में जो हार मिली, उसका घाव अभी हरा ही है कि अब पार्टी के अपने लोग ही उसपर ये कहकर मिर्ची लगाने में लगे हैं कि लालू-प्रेम ही ले डूबा.