बंगाल की ‘दीदी’ ने वाम मोर्चे की 34 वर्ष पुरानी ‘दादागिरी’ समाप्त करते हुए पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का परचम लहराया, जबकि जयललिता की अन्ना द्रमुक ने द्रमुक का सफाया कर तमिलनाडु में सत्ता तक पहुंच बनाई.