उत्तराखंड के अल्मोड़ा की सल्ट विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को अगले साल 2022 में होने वाले चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने पत्ते खोल दिए हैं. बीजेपी ने दिवंगत विधायक सुरेंद्र जीना के भाई महेश जीना को अपना प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस ने गंगा पंचोली को एक बार फिर से मैदान में उतारा है. बीजेपी ने महेश जीना को टिकट देकर सहानुभुति का दांव खेला है. इससे पहले बीजेपी राज्य में अपने दो पूर्व विधायकों के परिवार को टिकट देकर जीत दर्ज कर चुकी है. वहीं, कांग्रेस ने चार साल पहले मामूली वोटों से हार का सामना करने वाली गंगा पंचोली के जरिए कांटे की टक्कर दने की रणनीति अपनाई है.
सल्ट विधानसभा सीट पर महेश जीना को टिकट देकर बीजेपी ने सहानुभुति कार्ड का तीसरी बार दांव खेला है. इससे पहले बीजेपी विधायक मगन लाल शाह के निधन पर उनकी पत्नी मुन्नी देवी शाह थराली सीट और मंत्री प्रकाश पंत के निधन पर उनकी पत्नी चंद्रा पंत को पिथौरागढ़ सीट पर चुनाव लड़वा चुकी है. इन दोनों ही सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को सहानुभूति कार्ड का फायदा मिला और वो जीत दर्ज कराने में सफल रही थी. हालांकि, इस बार महेश जीना की राह आसान नहीं है. महेश जीना दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के बड़े भाई हैं. ऐसे में सवाल है कि वो सहानुभूति जुटाने में कामयाब रह पाएंगे?
बीजेपी के लिए अहम सल्ट उपचुनाव
उत्तराखंड की भले ही एक ही सीट पर उपचुनाव हो रहा है, लेकिन ये काफी अहम माना जा रहा है. यह उपचुनाव इसीलिए भी काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगले साल 2022 के विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में इस सीट की जीत हार के सियासी मायने निकाले जाएंगे, जिसके लिए इसे 2022 का लिट्मस टेस्ट भी माना जा रहा है. बीजेपी में नवनियुक्त सीएम तीरथ सिंह रावत और प्रदेश अध्यक्ष बने मदन कौशिक की परीक्षा भी है. बीजेपी यह उपचुनाव जीती तो तीरथ रावत और कौशिक मजबूत होंगे, सीट गंवाई तो पार्टी से लेकर सरकार के लिए एक बड़ा झटका होगा.
कांग्रेस के लिए भी अहम माना जा रहा
बीजेपी के लिए सल्ट उपचुनाव काफी चुनौती भरा माना जा रहा है, क्योंकि विपक्षी दल कांग्रेस भी इस सीट पर अच्छा खासा दमखम रखती है. कांग्रेस भी इस सीट पर कमजोर नहीं है, क्योंकि पिछले चुनाव में मात्र 3000 के अंतर से हारी थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेत्री गंगा पंचोली को अंतिम समय में पार्टी ने टिकट दिया था. तब भी पंचोली ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी. उसके बाद से ही वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं. ऐसे में कांग्रेस ने उन्हें एक बार फिर से उपचुनाव में उतारकर बीजेपी के सामने काफी मुश्किल खड़ी कर दी है.
बता दें कि उत्तराखंड में 2017 के बाद ये यह तीसरी विधानसभा सीट है जिसपर उपचुनाव हो रहे है. इससे पहले दो उपचुनाव में भाजपा ने पारिवारिक सदस्य को टिकट देकर सहानूभूति कार्ड खेला और चुनाव में फतेह भी हासिल की थी. लेकिन वोटों का अंतर ज्यादा नहीं रहा था. कांग्रेस ने पहले थराली और पिथौरागढ़ सीट पर भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी थी. 2018 में गढ़वाल की थराली सीट पर विधायक मगनलाल शाह की मौत के बाद उपचुनाव करवाया गया था. भाजपा ने दिवंगत विधायक की पत्नी मुन्नी देवी को टिकट थमाया था, जिनका मुकाबला कांग्रेस के प्रोफेसर जीतराम से था. कांटे के मुकाबले में भाजपा ने यह सीट 1981 वोटों से जीत ली थी.
इसके बाद नवंबर 2019 में पिथौरागढ़ सीट पर हुए उप चुनाव में दिवंगत कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत ने कांग्रेस प्रत्याशी अंजू लुंठी को 3267 मतों से पराजित किया. 2017 में प्रकाश पंत ने तत्कालीन विधायक मयूख महर को 2684 वोटों से मात दी थी. उपचुनाव में भले कुछ वोटों का अंतर बढ़ा हो. लेकिन जिस तरह से पूरी सरकार पिथौरागढ़ में उतर गई थी और कांग्रेस प्रत्याशी को कमजोर आंका जा रहा था. उस हिसाब से चुनावी परिणाम बीजेपी के लिए ज्यादा बेहतर नहीं रहे थे. यही वजह है कि सल्ट विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने जिस तरह से मजबूत प्रत्याशी दिया है, उससे बीजेपी के लिए सहानुभूति की हैट्रिक लगाना आसान नहीं माना जा रहा है.