उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा संकट में हैं. अपने ही विधायकों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कहा जा रहा है कि बारह-तेरह विधायक उनके खिलाफ हैं. ऐसे में बहुगुणा के सियासी भविष्य को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं.
उत्तराखंड से बीजेपी की सरकार को उखाड़ फेंकने के महज 14 महीने बाद ही बहुगुणा का जादू कांग्रेस के भीतर ही धुंधला पड़ने लगा. विधायकों के अंदर पनप रहे असंतोष को अगर संकेत समझें तो विजय बहुगुणा का ज्यादा दिनों तक उत्तराखंड के सीएम की कुर्सी पर बने रहना मुश्किल है.
विधायकों का आरोप है कि विजय बहुगुणा के राज में सूबे में अफरशाही बेलगाम हो गई है. भ्रष्टाचार बढ़ा है. विधायक अपने इलाके में जाकर वोट मांगने लायक नहीं रहे.
उत्तराखंड के विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द कुंजवाल ने कहा कि 14 महीने में जो विकास होना चाहिए था वो बिल्कुल नहीं हुआ, प्रदेश की जनता भ्रष्टाचार की वजह से बहुत दुखी है, कोई भी योजना धरातल पर नहीं है.' दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि कई विधायक इस्तीफे के लिए तैयार बैठे हैं.
अटकलें हैं कि लाभ के पद पर आसीन रहने की वजह से मंत्री हरक सिंह रावत और कांग्रेस विधायक सरिता आर्य की विधानसभा की सदस्यता खत्म हो सकती है.
उत्तराखंड की 70 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 33 विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास 30. कांग्रेस को बीएसपी के 3, तीन निर्दलीय और यूकेडी के एक विधायक का समर्थन हासिल है.
ऐसे में संख्या का मामूली हेरफेर विजय बहुगुणा के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है.
उनकी मुसीबत बढ़ाने के लिए बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और भगत सिंह कोश्यारी लगातार निर्दलीय और बीएसपी विधायकों के संपर्क में हैं.