उत्तराखंड में आपदा के 60 घंटे बाद अब देश जानना चाहता है कि राहत और बचाव का अभियान कहां तक पहुंचा है. कितने समय बाद बाकी 35 मजदूरों को मौत के मुंह से निकाला जा सकेगा. सुरंग में जिंदगी की कितनी उम्मीद बाकी है. जिनके अपने तपोवन स्थित टनल में फंसे हैं, उनके लिए समय का एक एक कतरा पहाड़ सा गुजर रहा है. कुछ टीवी स्क्रीन से चिपके हैं तो कुछ ईश्वर को याद कर रहे हैं.
NTPC की अंधेरी सुरंग में लगभग 35 मजदूर मौत से दो-दो हाथ कर रहे हैं. 60 से ज्यादा घंटे गुजर चुके हैं. अब लोगों के मन में सवाल है कि टनल में कितना मलबा हटाया जा चुका है? और मजदूरों और रेस्क्यू टीम के बीच और कितना कचरा बचा है.
रेस्क्यू ऑपरेशन संभाल रहे अधिकारियों का कहना है कि 240 मीटर लंबी इस टनल में 120 मीटर तक मलबा साफ किया जा चुका है. सारी कोशिश 60 मीटर बाद उस मोड़ यानी टी प्वाइंट तक पहुंचने की है. जिसके पास 35 लोगों के फंसे होने की उम्मीद है. यानी 180 मीटर के बाद इस सुरंग में मोड़ है. उम्मीद की जा रही है कि इस स्थान पर मजदूर फंसे हुए हैं.
मेजर जनरल राजीव छिब्बर ने कहा कि कचरा एक ही दिशा से आ रही थी इसलिए उम्मीद की जा रही है कि 180 मीटर के आगे यानी कि मोड़ के आगे मलबा नहीं गया होगा, इसके अलावा वहां पर ऑक्सीजन भी रहने की संभावना है. इसलिए भरोसा ये भी किया जा रहा है कि अंदर फंसे लोग ठीक हो सकते हैं.
समस्या ये है कि टनल में एक स्थान से मलबा हटाने के बाद सुरंग में दो ऐसे प्वाइंट हैं जहां से कचरा फिर टनल में आ जा रहा है इससे रेस्क्यू टीम की मेहनत बेकार जा रही है.
मजदूरों को बचाने के लिए सेना इस प्रोजेक्ट की एक और टनल के मुंह को खोलने की कोशिश में जुटी है. मंगलवार को इसके लिए पूरी कोशिश की गई है. मेजर जनरल राजीव छिब्बर ने कहा कि हम टनल के ऊपर से छेद कर अंदर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. ये टनल पहाड़ी के दूसरी ओर से है, इसके मुंह को खोलने की जद्दोजहद हो रही है. हालांकि इसमें कामयाबी नहीं मिली है.
रविवार को हुए हादसे का बड़े दायरे में असर हुआ है. कई लोग दूर-दूर तक जाकर बह गए हैं. इनका पता लगाने के लिए हेलिकॉप्टर में रडार लटकाकर पूरे क्षेत्र का मुआयना किया जा रहा है, लेजर तरंगों के जरिए इंसानों की मौजूदगी का पता लगाने की कोशिश की जा रही है. ये आकलन ग्लेशियर टूटने वाली जगह से लेकर पूरे इलाके में की जा रही है.
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