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Uttarakhand : नरभक्षी गुलदार को जाने से मारने के आदेश जारी, तैनात किए गए शॉर्प शूटर

टिहरी जिले में आतंक मचाने वाले गुलदार (तेंदुआ) को मारने के आदेश जारी किए गए हैं. गुलदार को मारने के लिए लिए शॉर्प शूटरों को गांव में तैनात कर दिया गया है. गुलदार के हमले में किशोर की मौत हो गई थी. इसके बादे से गांव के लोग गुलदार को मार देने की मांग उठा रहे थे.

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तेंदुआ. (सांकेतिक तस्वीर)
तेंदुआ. (सांकेतिक तस्वीर)

उत्तराखंड़ (Uttarakhand) के टिहरी जिले में आतंक मचाने वाले गुलदार को मारने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. गुलदार ने घनसाली विधानसभा के बालगंगा रेंज में बीते 27 नवंबर को 12 साल के किशोर को निवाला बनाया था. घटना के बाद से ही ग्रामीण नरभक्षी गुलदार को मार गिराने की मांग कर रहे थे. 

ग्रामीणों का मांग पर अब शासन ने नरभक्षी गुलदार को मारने के आदेश जारी कर दिए हैं. इसके साथ ही गांव में शार्प शूटर तैनात कर दिए गए हैं. साथ ही वन विभाग की टीम भी गुलदार की तलाश में नाइट पेट्रोलिंग कर रही है.

किशोर की मौत के बाद से ग्रामीणों में है खौफ

गौरतलब है कि 27 नवंबर की शाम अरनव नाम का लड़का घर लौट रहा था. घात लगाए बैठे गुलदार के हमले में उसकी मौत हो गई थी. घटना के बाद से ग्रामीणों में दहशत का माहौल था. दूसरी ओर भिलंगना और बालगंगा रेंज में रिहायसी इलाके में गुलदार की धमक से लोगों में डर के साये में जी रहे हैं.

लंबे समय से रिहायसी क्षेत्रों में गुलदार के होने से लोगों की जान का खतरा बना हुआ है. घनसाली वन विभाग की टीम लगातार रात में पेट्रोलिंग कर रही है. विभाग ने गांव वालों से कहा है कि रात में घर पर ही रहें. बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें.

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मगर, लोगों का कहना है कि आखिर कब तक उन्हें डर के साये में जीना पड़ेगा. वन विभाग को कोई ठोस कदम उठाना पड़ेगा, ताकि लोग सुरक्षित रह सकें. 

पांच साल के बच्चे को उठा ले गया था गुलदार

उत्तराखंड के पौड़ी जिले के निसणी गांव में 29 नवंबर की शाम पांच साल का पीयूष घर के बाहर खेल रहा था. इसी दौरान गुलदार (तेंदुआ) ने हमला कर दिया था, जिसके चलते उसकी मौत हो गई थी. वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि उत्तराखंड में पिछले छह माह में तेंदुए के हमले में करीब 25 लोगों की मौत हो चुकी है.

हाल ही में इन हमलों को रोकने के लिए पौड़ी जिलाधिकारी ने Tiger Control Room को स्थापित करने की घोषणा की थी. वन विशेषज्ञों का कहना है कि अक्सर कम उम्र के गुलदार हमला करते हैं. रिहाइशी इलाकों का दायरा बढ़ता जा रहा है. गुलदारों को सफर करते रहना अच्छा लगता है, जिससे वे रिहायशी इलाके में घुस जाते हैं.

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