नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तीर्थ स्थल हरिद्वार और ऋषिकेश में प्लास्टिक की थैली के इस्तेमाल पर शुक्रवार को पूरी तरह बैन लगा दिया और गंगा को साफ रखने में उदासीन रवैया अपनाने के लिए प्राधिकरणों को फटकार लगाई.
एनजीटी ने गंगा नदी तट की दयनीय हालत पर नाखुशी जाहिर करते हुए इस मुद्दे पर सुस्त रवैया अपनाने के लिए प्राधिकरण को लताड़ लगाई. न्यायाधिकरण ने गंगा को प्रदूषणमुक्त रखने के लिए यह आदेश पारित किया.
भरना होगा 5 हजार का जुर्माना
आदेश का उल्लंघन करने वालों को 5000 रुपये जुर्माना देना पड़ेगा. एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने कहा, पूरे हरिद्वार और ऋषिकेश में खास तौर से नदी के किनारे और गंगा के आस-पास प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. प्लास्टिक का इस्तेमाल किसी भी मकसद के लिए नहीं किया जाएगा चाहे वह खाना खिलाने, सामान रखने ले जाने या चीजों को पैक करने के लिए हो.
उन्होंने कहा, उस इलाके में किसी भी व्यक्ति को अगर प्लास्टिक लाते या उसका इस्तेमाल करते पाया जाता है तो उस पर प्रति उल्लंघन 5,000 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा. न्यायाधिकरण ने आदेश दिया कि हरिद्वार नगर निगम, पुलिस और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी गंगा के मैदानी इलाकों व घाटों पर नजर रखेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी भी तरह से वहां प्लास्टिक का उपयोग न हो.
एनजीटी ने यह भी कहा कि कोई भी दुकानदार प्लास्टिक की थैली में सामान नहीं बेचेगा और निगम यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी तरह का कूड़ा कचरा या पशुओं की गंदगी किसी भी परिस्थिति में घाटों पर नहीं फेंकी जाएगी.
(इनपुट: भाषा)