scorecardresearch
 

उत्तराखंडः रैणी गांव में जगह-जगह पड़ीं दरारें, भू-धंसान के कारण हटाई गई गौरा देवी की प्रतिमा

उत्तराखंड में चिपको आंदोलन शुरू करने वाली जिस गौरा देवी के कारण रैणी गांव को दुनिया में प्रसिद्धि मिली, आज गौरा देवी की स्मृति में बने स्मारक पर भी खतरा मंडरा रहा है.

Advertisement
X
हटाई गई गौरा देवी की प्रतिमा
हटाई गई गौरा देवी की प्रतिमा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चमोली के रैणी गांव में मुख्य द्वार पर भी गहराया संकट
  • रैणी की गौरा देवी ने ही शुरू किया था चिपको आंदोलन
  • करीब 300 गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया फाइलों में लंबित

उत्तराखंड के चमोली जिले में चीन के सीमावर्ती इलाके में रैणी गांव 7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने की घटना और ऋषि गंगा नदी में आई बाढ़ से तबाह हो गया था. एक बार फिर यह गांव आपदा से जूझ रहा है. चिपको आंदोलन शुरू करने वाली जिस गौरा देवी के कारण रैणी गांव को दुनिया में प्रसिद्धि मिली, आज उनकी स्मृति में बने स्मारक पर भी खतरा मंडरा रहा है.

बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) के जवानों ने गुरुवार को गौरा देवी की प्रतिमा उनके स्मारक से अलग कर दिया. ऐसा पांच दिन पहले भारी भूस्खलन के बाद स्मारक स्थल के समीप जमीन में पड़ी दरारें देख खतरे को भांपते हुए किया गया. अब उस स्मारक स्थल से नई सड़क बनाई जानी है क्योंकि पिछले पांच दिन से भारत-चीन सीमा पर जाने वाला एकमात्र मार्ग बंद पड़ा हुआ है. वहीं, अब गौरा देवी के स्मारक स्थल से सड़क बनाकर सीमा तक आवाजाही सुचारू की जाएगी.

लोग भावुक हो गए

जिस समय गौरा देवी के स्मारक से उनकी प्रतिमा हटाई गई, उस वक्त मौजूद लोग भावुक हो गए. 7 फरवरी को ऋषि गंगा के उद्गम क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से ऋषि गंगा में जल प्रलय आ गई थी. तब रैणी गांव पर भी चारों ओर से भूस्खलन और भू-धंसान का खतरा मंडराने लगा था. धीरे-धीरे गांव की जमीन धंसने लगी. ग्रामीणों को इसका आभास भी हो रहा था, लेकिन बीते सोमवार को क्षेत्र में बारिश के दौरान मलारी हाईवे करीब 40 मीटर तक ध्वस्त हो गया. दरारें गांव तक पहुंच गईं तब ग्रामीणों में अफरा-तफरी मच गई.

Advertisement

इसे भी क्लिक करें --- उत्तराखंड सरकार के दावों की 'आजतक' ने खोली पोल, अल्मोड़ा के जंगलों में शवदाह की अपनी रिपोर्ट पर कायम

कई आवासीय मकान भी भू-धंसान की चपेट में आ गए. सड़क ध्वस्त होने के बाद गौरा देवी के नाम से बना गेस्ट हाउस, स्मारक और प्रवेश द्वार भी इसकी चपेट में आ गए. अब स्मारक को तोड़ दिया गया है और गौरा देवी की प्रतिमा को फिलहाल सुरक्षित रख दिया गया है. जब गौरा देवी की प्रतिमा को निकाला जा रहा था, तब उनकी सहेलियां रो पड़ीं.

प्रतिमा हटाते समय भावुक हुए लोग
प्रतिमा हटाते समय भावुक हुए लोग


गौरा देवी की सहेली बाली देवी ने कहा कि हमने पर्यावरण बचाने के लिए चिपको किया था लेकिन आज हर जगह बड़े-बड़े डैम बना दिए गए हैं जिनके कारण हर तरफ खतरा हो गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने यहां भी एक डैम बनाया था जिसकी वजह से यहां तबाही मची थी.

विस्थापन की प्रक्रिया फाइलों में लंबित

बाली देवी ही नहीं, गांव की देवकी देवी, सुप्या सिंह, खीम सिंह जैसे कई लोग हैं जिनकी यही राय है. लोग बताते हैं कि ग्रामीण बार-बार प्रशासन को इसकी सूचना दे रहे थे. अब इसके चलते रैणी गांव में चिपको आंदोलन की शुरुआत करने वाली गौरा देवी की मूर्ति हटानी पड़ी है और गांव का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है.

Advertisement

रैणी के निवासी बताते हैं कि 7 फरवरी की आपदा के बाद हल्की बारिश भी शुरू होते ही डर के मारे लोग जंगल में चले जाते हैं और वहीं रात बिताते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि बारिश के साथ ही ऋषि गंगा नदी का जल स्तर बढ़ने लगता है. गौरा देवी की प्रतिमा हटाए जाने के बाद अब गांव की पहचान मुख्य गेट पर गौरा देवी के साथ लिखे आंदोलनकारियों के नाम पर भी खतरा गहराता जा रहा है. गौरतलब है कि रैणी गांव के निवासी 7 फरवरी की आपदा के बाद से ही गांव के विस्थापन की मांग कर रहे हैं. बता दें कि चमोली जिले में 300 से अधिक गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया फाइलों में लंबित है.

 

Advertisement
Advertisement