हजारों लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके बुजुर्ग समाजसेवी मो. शरीफ को निस्वार्थ सेवा के लिए भले ही गत वर्ष प्रतिष्ठापूर्ण पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित किया गया, लेकिन वे स्वयं मुफलिसी में जीवन बिता रहे हैं. यदि शव हिदूं का हुआ, तो चिता सजाकर अंतिम विदा दी और यदि मुस्लिम का हुआ, तो सदा के लिए सुलाने की हर सुविधा मुहैया कराने के साथ विदाई दी. मो. शरीफ के घर से देखिए आजतक संवाददाता समर्थ श्रीवास्तव की ये रिपोर्ट.