मुजफ्फरनगर दंगे के बाद अखिलेश सरकार की मुसीबतें कम होती नहीं दिखाई दे रही हैं. दंगो में अपने घरों के पुरुषों की फर्जी नामजदगी पर इलाकें की ग्रामीण महिलाओं का गुस्सा फुट पड़ा है. चूल्हा-चौका छोड़कर लाठी और फरसा लेकर चौपालों पर पंचायत कर रही ग्रामीण महिलाएं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रशासन की नई चुनौती हैं.
दंगा प्रभावित मुजफ्फरनगर और शामली के गांवों में आए दिन महिला पंचायत हो रही है. इन महिलाओं नें अखिलेश सरकार को अल्टीमेटम दिया हैं कि अगर फर्जी नामजदगी वापस नहीं की गयी तो 10 तारीख को महिलाओं की एक बड़ी पंचायत होगी. उधर अखिलेश यादव नें भरोसा दिलाय़ा है कि अगर किसी के साथ नाइंसाफी हुई है तो उसकी भी जांच की जायेगी.
दंगों के बाद चल रही पुलिसिया कारवाई के विरोध में मुजफ्फरनगर और शामली की महिलाएं सड़क पर उतर आई है. गुस्से का कारण साम्प्रदायिक बदलें की भावना नहीं, बल्कि पुलिस की उत्पीड़न हैं. इन महिलाओं का कहना है कि दंगो के बाद पुलिस इनके घर के लोगों की फर्जी नामजदगी कर रही हैं. महिलाओं का कहना है पुलिसिया कारवाई ने गांवों में दहशत बढ़ा दी हैं. पुलिस के खौफ से जवान लड़के गांव छोड़कर भाग गये हैं.
महिला मंडल अध्यक्ष, किसान यूनियन सोहन बीवी सिंह ने कहा कि गांव दूधाहेड़ी, मुजफ्फरनगर हमारे घर के लोगों को फर्जी मुकदमें लगाकर पुलिस उठा रही हैं. हम इसका विरोध कर रहें हैं. अगर पुलिस नें इनको नहीं छोड़ा तो हम 10 तारिख को महापंचायत करेगें.