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क्या है लाइट मेट्रो, जिसे गोरखपुर, प्रयागराज और मेरठ में है चलाने की तैयारी

उत्तर प्रदेश सरकार गोरखपुर, प्रयागराज और मेरठ में लाइट मेट्रो चलाने की तैयारी में है. इस सिलसिले में काम शुरू कर दिया गया है. इन शहरों को लेकर लाइट मेट्रो के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार किया जाएगा. मंत्रिमंडल की तरफ अप्रूवल मिलने के बाद केंद्र सरकार को डीपीआर भेजा जाएगा.

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गोरखपुर, प्रयागराज में लाइट मेट्रो की तैयारी (फाइल फोटो-PTI)
गोरखपुर, प्रयागराज में लाइट मेट्रो की तैयारी (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गोरखपुर, प्रयागराज में लाइट मेट्रो की तैयारी
  • केंद्र सरकार को भेजा जाएगा डीपीआर
  • राज्य कैबिनेट से मिलनी है मंजूरी

उत्तर प्रदेश सरकार गोरखपुर, प्रयागराज और मेरठ में लाइट मेट्रो चलाने की तैयारी में है. इस सिलसिले में काम शुरू कर दिया गया है. इन शहरों को लेकर लाइट मेट्रो के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार किया जाएगा. मंत्रिमंडल की तरफ अप्रूवल मिलने के बाद केंद्र सरकार को डीपीआर भेजा जाएगा.

असल में, यूपी सरकार राज्य के कुछ शहरों में यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए मेट्रो रेल चलाना चाहती है. लेकिन गोरखपुर, प्रयागराज जैसे शहरों में मेट्रो रेल परियोजना शुरू करने की स्थिति नहीं बन पा रही है. लिहाजा, राज्य सरकार ने इन शहरों में लाइट मेट्रो चलाने का प्लान बनाया है जिसके लिए डीपीआर तैयार किया जाएगा.

क्या है लाइट मेट्रो?

लाइट मेट्रो का कॉरिडोर सड़क के समानांतर जमीन पर ही होता है. स्टेशन बस स्टैंड की तरह तैयार किया जाता है. इसमें तीन से चार कोच होते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक तीन कोच की मेट्रो में तीन सौ यात्री यात्रा कर सकते हैं. लाइट मेट्रो रोड पर ही चलेगी, जगह न होने की स्थिति में ही एलिवेटेड रूट तैयार किया जाएगा. 

रिपोर्ट के मुताबिक जहां फुटपाथ और सड़क की चौड़ाई कम होगी वहीं पर लाइट मेट्रो जमीन पर चलेगी. लाइट मेट्रो के स्टेशन साइज में काफी छोटे-छोटे होंगे. केंद्र सरकार ने छोटे, मझोले किस्म के शहरों में कम खर्चे पर मेट्रो की सुविधा मुहैया कराने के लिए लाइट मेट्रो का प्लान तैयार किया है. 

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मौजूदा मेट्रो से कैसे अलग है लाइट मेट्रो

लाइट मेट्रो की लाइन के ट्रैक के किनारे फेंसिंग लगाने का प्लान है. फुटपाथ को बंद कर इसे लाइट मेट्रो के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा. जहां रोड पर मुमकिन नहीं होगा वहां ओवरहेड बनाया जाएगा. पिलर के लिए करीब सवा दो मीटर जमीन की ही आवश्यकता होगी. ट्रेन की लंबाई के एक तिहाई हिस्से में ही प्लेटफॉर्म पर शेड लगेगा. इक्यूपमेंट रूम प्लेटफॉर्म के नीचे अंडर ग्राउंड तैयार किए जाएंगे. 

हालांकि इसमें ऑटोमेटिक फेयर क्लेक्शन गेट, सामान की जांच के एक्सरे स्कैनर, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर की सुविधा लाइट मेट्रो में नहीं होगी. इसमें मेट्रो से ज्यादा जुर्माना लगाने की बात की जा रही है. 

बताया जा रहा है कि लाइट मेट्रो में कनकोर्स नहीं होगा. प्लेटफार्म को ही पैसेंजर एरिया के तौर पर डेवलप किया जाएगा. ओवरहेड होने पर भी स्टेशन एक मंजिल का होगा. इसके स्टेशन पर एक ही एंट्री और एग्जिट होगा. बहरहाल, केंद्र सरकार को डीपीआर भेजी जानी है. केंद्र की हरी झंडी मिलते ही इन शहरों में लाइट मेट्रो पर काम शुरू कर दिया जाएगा.


 

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