वायरल बुखार और डेंगू के फैले प्रकोप के बीच वाराणसी के सरकारी अस्पताल मरीजों के इलाज के साथ ही और लोगों के लिए खतरा बढ़ा रहे हैं. वाराणसी के कबीर चौरा मंडलीय अस्पताल में जहां सभी वॉर्ड फुल हैं तो डेंगू के मरीज मच्छरदानी तक का प्रयोग नहीं कर रहे हैं. जिससे अन्य लोगों को भी डेंगू का मच्छर बीमार कर सकता है. इतना ही नहीं इमरजेंसी वॉर्ड में तो कई डेंगू के संदिग्ध मरीज ऐसे भी मिले जो खुद के डेंगू वॉर्ड में रखकर इलाज न किए जाने से नाराज थे.
एक तरफ यूपी के कई जिलों में रहस्यमयी बुखार, वायरल और डेंगू का प्रकोप है तो वहीं वाराणसी के सरकारी अस्पताल मरीजों का इलाज करने के साथ ही लापरवाही से और ज्यादा बीमारी को दावत दे रहें हैं. वाराणसी के कबीर चौरा मंडलीय अस्पताल शिव प्रसाद गुप्त के भी बच्चा वॉर्ड से लेकर पुरुष-महिला वॉर्ड तक सभी फुल हो चुके हैं. लेकिन मरीजों के इलाज के साथ ही यहां और बीमारी को दावत भी दी जा रही है. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण अस्पताल के डेंगू वॉर्ड में देखने को मिला.
20 बेड वाले डेंगू वॉर्ड में ज्यादातर मरीज अपने बेड पर मच्छरदानी का प्रयोग कर ही नहीं रहें हैं. जिससे डेंगू पीड़ित को मच्छर काटकर किसी और को भी बीमार कर सकता है. इतना ही नहीं फुल डेंगू वॉर्ड के बगल में इमरजेंसी वॉर्ड में डेंगू के संदिग्ध मरीज दीपक और आशीष जिनकी प्लेटलेट्स 25-35 हजार तक हो गया था, वह भी डेंगू वॉर्ड फुल हो जाने के चलते भर्ती न हो पाने से नाराज थे. इसके अलावा मंडलीय अस्पताल के बच्चा वॉर्ड से लेकर सभी महिला-पुरूष वॉर्ड भी पूरी तरह से फुल नजर आए.
डॉ. बोले- वायरल फीवर, डायरिया के बढ़े मरीज
वहीं, डेंगू वॉर्ड के मरीजों के मच्छरदानी के प्रयोग न करने और अन्य वॉर्ड और मरीजों के बारे में और जानकारी देते हुए मंडलीय अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. प्रसन्न कुमार ने बताया कि वायरल फीवर, डायरिया और गैस्ट्रोएन्टराइटिस के मरीज बढ़े हैं. ओपीडी में रोजाना 400-450 रोज मरीज मेडिसिन के आ रहें हैं और वायरल फीवर में डेंगू के भी पेशेंट है. डेंगू के लिए दो वॉर्ड बनाए गए हैं. इसमें सुबह के वक्त कुल 9 मरीज डेंगू के भर्ती हैं. बच्चों के भी दो वॉर्ड हैं. एक में 17-18 तो दूसरे में 1-2 बच्चे हैं. मरीज ज्यादा है, लेकिन अस्पताल में जगह पर्याप्त हैं.
'पर्याप्त संख्या में हैं बेड्स'
डेंगू के संदिग्ध मरीज के डेंगू वॉर्ड में भर्ती न करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बेड पर्याप्त हैं और प्लेटलेट्स भी पर्याप्त हैं. जरूरत के मुताबिक ही प्लेटलेट्स दी जा रही है. 10-15 हजार के नीचे ही प्लेटलेट्स दी जाती है. डेंगू के नाम पर पैनिक न हों. सारे बुखार डेंगू के नहीं होते हैं. डेंगू वॉर्ड में मरीजों द्वारा मच्छरदानी के इस्तेमाल न करने के सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि सारे बेड पर मच्छरदानी लगी है. कई बार मरीजों को समझाया भी जा चुका है कि दूसरों की सुरक्षा के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें, लेकिन मरीज मानते नहीं हैं. ऐसी संभावना है कि डेंगू के मरीज को काटा मच्छर किसी और को काट ले तो उसे भी डेंगू हो सकता है.