उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद अब प्रयागराज की जिला अदालत (District Court of Prayagraj) में देह व्यापार (flesh trade case) के मामले में 41 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है. अदालत ने सभी 41 दोषियों को सजा सुनाई है. अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956 और आईपीसी की कई धाराओं में आरोपियों को दोषी ठहराया गया. दोषी ठहराए गए 41 लोगों में 33 महिलाएं और आठ पुरुष हैं. यह मामला साल 2016 का है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के आदेश पर जिला प्रशासन ने छापेमारी की थी. इस दौरान सौ के करीब नाबालिग लड़कियों व महिलाओं और बच्चों को रेस्क्यू कर छुड़ाया था. छुड़ाई गई लड़कियों को देश के अलग-अलग हिस्सों से यहां लाकर उन्हें खरीदा बेचा जाता था. उनसे जबरन देह व्यापार कराया जाता था.
आंदोलन के बाद पुलिस ने की थी कार्रवाई
सामाजिक कार्यकर्ता और इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के वकील सुनील चौधरी के आंदोलन के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया था. हाईकोर्ट के दखल पर चौक इलाके में अभियान चलाकर यहां के रेड लाइट एरिया में चल रहे देह व्यापार के धंधे को पुलिस ने बंद कराया था. इसके बाद छापेमारी (Raids) कर पुलिस ने मामले से जुड़े आरोपियों को पकड़ा था. केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने इस मामले में 48 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.
दोषियों को 2 से 14 साल तक की सुनाई गई सजा
जेल भेजे गए 48 आरोपियों में से 6 की मौत हो चुकी है. एक आरोपी पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था. बचे हुए सभी 41 आरोपी दोषी ठहराए गए हैं. जिला अदालत से आज सजा का ऐलान हुआ है. किसी को 2 साल की सजा मिली है तो किसी को 7 साल की सजा सुनाई गई. वहीं कई दोषियों को 14 साल तक की सजा दी गई है. सज़ा के साथ ही सभी पर अर्थदंड भी लगाया गया है. दोषियों को अलग-अलग धाराओं में सुनाई गई सभी सजाएं एक साथ चलेंगी. जेल में बिताई गई अवधि की सजा से कटौती हो जाएगी.
दशकों से चल रहा था देह व्यापार का धंधा
एडिशनल सेशन जज रचना सिंह की कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाई है. डीजीसी क्रिमिनल गुलाबचंद अग्रहरि और रेड लाइट एरिया के खिलाफ आंदोलन करने वाले हाईकोर्ट के वकील सुनील चौधरी ने यह जानकारी दी है. कई दशकों से पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे देह व्यापार का धंधा चलता था.