उत्तर प्रदेश सरकार ने मुस्लिम संगठनों के विरोध के बाद अपने उस शासनादेश को वापस ले लिया है, जिसके तहत उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति में एक से ज्यादा शादियां करने वालों के आवेदन को आयोग्य ठहराने की घोषणा की गई थी. हालांकि, सरकार ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए यह भी कहा है कि कभी ऐसा कोई नियम लाया ही नहीं गया.
सरकार की ओर से शुक्रवार को कहा गया कि पूर्व से चले आ रहे नियमों के आधार पर ही नियुक्ति होगी, नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. बेसिक एजुकेशन मिनिस्टर अहमद हसन ने कहा, 'सरकार के आदेश पर हस्ताक्षर करने के क्रम में मैंने आज पाया कि इसमें ऐसा कोई नियम नहीं है. इसलिए हमने इस ओर स्पष्टीकरण जारी किया. ये सपा सरकार को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार है.'
उन्होंने आगे कहा, 'जिस आधार पर 2013 में भर्तियां हुई थीं, उसी आधार पर भर्तियां हो रही हैं. हम लोग खुद हैरान हैं कि दो बीवियां होने पर आवेदन से अयोग्य ठहराने की बात कहां से उठी.'
'सेवा शर्तों में कोई परिवर्तन नहीं'
इस बीच सचिव (बेसिक शिक्षा) आशीष कुमार गोयल ने कहा, 'उर्दू शिक्षकों की भर्ती में पूर्व में जो व्यवस्था रही है, उसके अनुसार ही वर्तमान में भर्तियां की जा रही हैं. उर्दू शिक्षकों की सेवा शर्तों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआ है.' उन्होंने आगे कहा, 'पांच जनवरी को जारी शासनादेश में पूर्व में की गई व्यवस्था में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया है.'
'शरई हक को छीनने जैसा'
गौरतलब है कि प्रदेश में साढ़े तीन हजार उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया में एक से ज्यादा शादियां करने वालों को आवेदन से अयोग्य ठहराए जाने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा था कि ये मुसलमानों के शरई अधिकारों का हनन है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा था कि मुसलमानों के लिए चार शादियां तक करना जायज है. ऐसे में एक से ज्यादा बीवियां रखने वाले लोगों को भर्ती के लिए आवेदन से वंचित करना उनके शरई हक को छीनने जैसा है.