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UP: 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले का आरोप क्यों लगा रहे हैं अभ्यर्थी? समझें

69 हजार शिक्षक भर्ती को लेकर हजारों अभ्यर्थी लखनऊ में कई महीनों से आंदोलन कर रहे हैं. आइए जानते हैं कि इन अभ्यर्थियों की मांग क्या है और यह ओबीसी-एससी वर्ग के आरक्षित सीटों पर आरक्षण में घोटाले का दावा क्यों कर रहे हैं.

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लखनऊ के ईको गार्डन में प्रदर्शन करते अभ्यर्थी
लखनऊ के ईको गार्डन में प्रदर्शन करते अभ्यर्थी

उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले का आरोप लगाने वाले अभ्यर्थी सड़क पर हैं. लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास से लेकर बेसिक शिक्षा मंत्री के घर तक अभ्यर्थी हर रोज प्रदर्शन कर रहे हैं. आइए जानते हैं कि इन अभ्यर्थियों की मांग क्या है और यह ओबीसी-एससी वर्ग की आरक्षित सीटों पर आरक्षण में घोटाले का दावा क्यों कर रहे हैं.

आसान शब्दों में समझें पूरी सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया- 

उत्तर प्रदेश में जब अखिलेश सरकार थी, तब 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित कर दिया गया था. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और समायोजन को रद्द कर दिया गया. यानी अखिलेश सरकार ने जिन शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बना दिया था, वह फिर से शिक्षामित्र बन गए.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार पदों पर भर्ती का आदेश योगी सरकार को दिया. योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम एक साथ इतने पद नहीं भर सकते हैं. फिर सुप्रीम कोर्ट ने दो चरण में सभी पदों को भरने का आदेश दिया. इस आदेश के बाद योगी सरकार ने 2018 में 68500 पदों के लिए वैकेंसी निकाली.

आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों का दावा है कि सहायक शिक्षक भर्ती की पहली किस्त (68500 पदों) में 22 हजार से अधिक पद रिक्त रह गए थे. हालांकि इस भर्ती के दौरान आरक्षण को लेकर सवाल नहीं उठ रहे हैं. यानी अभ्यर्थियों का कहना है कि 68500 शिक्षकों की जो वैकेंसी निकाली गई थी, वह आरक्षण के पैरामीटर पर सही है.

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कहां से शुरू हुआ विवाद?

अब बात करते हैं 69 हजार शिक्षक भर्ती की. 1.37 लाख शिक्षकों की भर्ती की दूसरे किस्त में सरकार ने 69 हजार वैकेंसी निकाली. 6 जनवरी 2019 को इस भर्ती के लिए परीक्षा हुई. इस भर्ती के लिए अनारक्षित की कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी की कटऑफ 66.73 फीसदी थी. इस भर्ती के तहत अब तक करीब 68 हजार लोगों को नौकरी मिल चुकी है.

अब सवाल उठता है कि 69 हजार भर्ती में कथित आरक्षण घोटाले की बात कहां से आई? इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है- बेसिक शिक्षा नियमावली 1981. आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि इस नियमावली में साफ है कि कोई ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी अगर अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक नंबर पाता है तो उसे ओबीसी कोटे से नहीं बल्कि अनारक्षित श्रेणी में नौकरी मिलेगी. यानी वह आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा.

क्यों आरक्षण घोटाले का लग रहा है आरोप?

यहीं से 69 हजार शिक्षक भर्ती का पेंच उलझ जाता है. दरअसल, आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों का दावा है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% की जगह मात्र 3.86% आरक्षण मिला यानी ओबीसी वर्ग को 18598 सीट में से मात्र 2637 सीट मिली हैं. जबकि सरकार का कहना कि करीब 31 हजार ओबीसी वर्ग के लोगों की नियुक्ति की गई है. 

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सरकार के इस बयान पर अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा नियमावली-1981 का तथा आरक्षण नियमावली 1994 का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी वर्ग के जिन 31 हजार लोगों को नियुक्ति दी गई है, उनमें से करीब 29 हजार अनारक्षित कोटे से सीट पाने के हकदार थे. प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि हमें 29 हजार ओबीसी वर्ग के लोगों को आरक्षण के दायरे में जोड़ना ही नहीं चाहिए. 

ठीक इसी तरह अभ्यर्थियों का आरोप है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में से एससी वर्ग को भी 21% की जगह मात्र 16.6% आरक्षण मिला. अभ्यर्थियों का दावा है कि 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में करीब 19 हजार सीटों का घोटाला हुआ. इसको लेकर वह कोर्ट भी गए और राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग में भी शिकायत की.

सरकार के नए फरमान का अभ्यर्थी कर रहे हैं विरोध

कई महीनों से लखनऊ में 69 हजार शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में सरकार ने पहले आरक्षण घोटाले के आरोपों से इनकार किया, लेकिन हाल में ही 6 हजार पदों पर आरक्षित वर्ग के लोगों को भर्ती करने का फरमान जारी किया. इसके साथ ही 17 हजार नई भर्ती का विज्ञापन भी जारी कर दिया है.

सरकार के मुताबिक, 1.37 हजार वैकेंसी में जितनी सीटें रिक्त रह गई थीं. यानी 68500 और 69000 की जो दो भर्तियों में सीटें रिक्त रह गई थीं, उनमें 6 हजार आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को दी जाएगी और 17 हजार नई वैकेंसी निकाली जाएगी. सरकार के इस कदम का भी अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि दोनों भर्तियों में करीब 29 हजार रिक्त हैं.

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सरकार ने क्या कहा?

बीते दिनों बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश चन्द्र द्विवेदी ने ऐलान किया था कि 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण की प्रक्रिया में विसंगति से प्रभावित आरक्षित वर्ग के लगभग 6000 अभ्यर्थियों की भर्ती की जाएगी तथा इसके अतिरिक्त 17000 रिक्त पदों पर नयी भर्ती होगी. 

अभ्यर्थियों की मांग क्या है?

इसके अलावा अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार ने 6 हजार सीटों का आरक्षण घोटाला मान लिया है, तभी वह आरक्षित वर्ग के लोगों की भर्ती कर रहे हैं, लेकिन यह घोटाला 19 हजार सीटों का है, ऐसे में हमें यह 6 हजार सीटें नहीं चाहिए, बल्कि अनारक्षित की कट ऑफ 67.11 के नीचे  ओबीसी को 27%  (18598 सीट ) तथा एससी वर्ग को 21%  (14490 सीट)  का कोटा पूरा किया जाए.

ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों का स्पष्ट रूप से कहना है कि उन्हें 6000 सीट नहीं चाहिए बल्कि सरकार को चाहिए कि 6000 की सीट की जगह आरक्षित वर्ग की 19000 से अधिक सीटों पर  जो घोटाला हुआ है वह सभी सीट उन्हें उन्हें वापस दी जाए , यदि उन्हें उनकी सीट वापस नहीं दी जाती है तो आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का धरना प्रदर्शन निरंतर चलता रहेगा और वह जब तक अपने घर वापस नहीं जाएंगे जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता.

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इस पूरे मामले में आजतक से बात करते हुए आंदोलन कर रहे अभ्यर्थी राजेश चौधरी का कहना है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में जिन करीब 19 हजार लोगों की नियुक्ति बेसिक शिक्षा नियमावली-1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन करके हुई है, वह सभी पद आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को वापस किए जाएं और उन पदों पर ओबीसी और एससी आरक्षण के हिसाब से भर्ती की जाए.

 

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