नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी ऋतु महेश्वरी ने बकायेदार बिल्डरों पर सख्त कार्रवाई करने के संकेत दिए हैं. नोएडा प्राधिकरण में एक मैराथन बैठक इस पर बुलाई गई थी. इस बैठक में ग्रुप हाउसिंग आवासीय और औद्योगिक विकास के बड़े बकाएदारों और उनके देनदारी को लेकर समीक्षा की गई. अब डिफाल्टरों और प्रोजेक्ट पूरा न करने वालों से जमीन वापस ले ली जाएगी.
सीईओ ऋतु माहेश्वरी ने आदेश दिए हैं कि सभी विभाग बकाएदारों से लेटर और व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क करें और बकाएदारों को चेतावनी दें कि समय रहते अगर बकाए का भुगतान नहीं किया गया तो उन्हें दी हुई जमीन छीन ली जाएगी. यह भी आदेश जारी हुआ है कि 10 लाख से ज्यादा आवासीय क्षेत्र के बकाएदारों की सूची बनाई जाए और प्राधिकरण को सूचित किया जाए.
उन्होंने आदेश दिया कि आवासीय जमीन के 10 लाख रुपये से अधिक धनराशि के बकाएदारों को सूचीबद्ध करें. उनसे वसूली के लिए आरसी जारी करें, एलॉटमेंट कैंसिलेशन की कार्रवाई की जाए. जिन आवंटियों ने भवन निर्माण कार्य पूरा कर वर्किंग सर्टिफिकेट हासिल नहीं किया गया है, उन्हें भी नोटिस जारी किया जाए.
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दिसंबर 2021 तक की डेडलाइन
सीईओ ने कहा कि जीरो पीरियड नीति का लाभ लेने वाले 16 बिल्डरों को दिसंबर 2021 तक परियोजना में हर हाल में काम पूरा करना होगा. अगर इन बिल्डरों ने निर्धारित समय में काम पूरा नहीं किया तो इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. ऐसी ग्रुप हाउसिंग परियोजनाएं जो पूरी हो चुकी हैं. लेकिन जो भी बकाया है, उन्हें बाकी राशि जल्द से जल्द जमा करने के निर्देश दिए गए हैं.
वेव मेगा सिटी सेंटर को मिला था नोटिस
हाल ही में नोएडा प्राधिकरण ने वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड को आखिरी नोटिस भेजा था. इसमें प्राधिकरण ने 2,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की बकाए की राशि जल्दी जमा करने के लिए कहा था. अब करीब पांच साल लंबी कार्रवाई के बाद नोएडा प्राधिकरण ने बड़ी कार्रवाई करते हुए वेव ग्रुप से नोएडा सिटी सेंटर की जमीन वापस ले ली थी.
इस पूरे मामले पर वेव ग्रुप के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा था कि नोएडा प्राधिकरण की यह जबरन कार्रवाई एक गैरकानूनी कार्य है, जिससे खरीदारों सहित सभी हितधारकों को भारी नुकसान होगा. नोएडा प्राधिकरण मानदंडों और अपनी स्वयं की प्रोजेक्ट सेटेलमेंट पॉलिसी के खिलाफ काम कर रहा है. हम मानते हैं कि हमारे पास एक मजबूत कानूनी पहलू है. हम नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ उचित कानूनी सहारा लेने की प्रक्रिया में हैं, ताकि सभी हितधारकों के हितों की रक्षा की जा सके.
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