scorecardresearch
 

UP: BJP की जीत से सपा समर्थक किसान ने हारी शर्त, जाएगी चार बीघा जमीन!

चुनावी मौसम में सट्टेबाजी काफी आम बात है. सट्टा बाजारों में तो हमेशा हार-जीत का प्रिडिक्शन होता रहता है. लेकिन इस यूपी चुनाव में दो किसानों के बीच भी एक शर्त लगी थी.

Advertisement
X
किसान ने गंवा दी अपनी जमीन
किसान ने गंवा दी अपनी जमीन

सोशल मीडिया पर एक शर्त का कागज वायरल हो रहा है. शर्त खेल-कूद या कुछ करने की नहीं बल्कि चुनावी हार-जीत की है. सरकार किसकी बनेगी इसकी गांव के चौपाल पर बात होना तो आम बात है लेकिन चौपाल पर ये शर्त लग जाए कि हार जीत में जमीन जाएगी ये तो महाभारत के चौसर की याद दिलाती है. महाभारत में भी भरी सभा मे शर्त लगी और यहां भरी चौपाल पर शर्त लगी.

मतगणना के बाद आने वाले चुनावी परिणामों को लेकर दो किसानों ने अनोखी शर्त लगाई है. इसके तहत अगर भाजपा जीती तो एक किसान दूसरे किसान की चार बीघा जमीन सालभर को अपने पास रखेगा, जबकि इसके उलट अगर सपा की सरकार आई तो दूसरा किसान पहले वाले किसान की चार बीघा जमीन सालभर तक अपने पास रखेगा.

इसके लिए दोनों का शर्त का लिखितनामा भी तैयार किया है. गांव के कई लोग गवाह भी बने हैं. अब यही लिखितनामा सोशल मीडिया पर भी सामने आया है. हालांकि भारतीय संविदा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, ऐसे लिखितनामे का कोई कानूनी महत्व नहीं हैं, क्योंकि बाजी का करार शून्य होता हैं (धारा 30). गांव की चौपाल में दोनों किसानों के बीच शर्त लगाई गई थी.

मतदान के बाद लगी थी शर्त

अनोखी शर्त लगाने वाले ये किसान जिला मुख्यालय से तकरीबन 24 किलोमीटर दूर विकास खंड म्याऊं क्षेत्र के गांव विरियाडांडा के रहने वाले हैं. इनमें एक किसान विजय सिंह हैं तो दूसरे शेर अली शाह हैं. विजय सिंह भाजपा समर्थक हैं तो शेर अली सपा में अपना रुझान रखते हैं. पिछले दिनों मतदान के बाद चुनावी चर्चा के दौरान इन दोनों के बीच शर्त लगी थी.

Advertisement

बताया जाता है कि गांव के लोग शाम के वक्त चौपाल पर बैठे थे. इसी दौरान चुनावी चर्चा शुरू हो गई. सरकार किसकी बनेगी, इसको लेकर अलग-अलग मत आने लगे. इसी बीच विजय सिंह ने दावा किया कि यूपी में एक बार फिर योगी सरकार बनेगी, जबकि शेर अली का कहना था कि जनता बदलाव चाहती है और केवल सपा की सरकार सत्ता में आएगी. देखते ही देखते बहसबाजी इतनी बढ़ गई कि दोनों ने हार-जीत पर शर्त लगा डाली.

गांव के प्रमुख लोगों के लिए लिखितनामा तैयार किया गया है. 12 गवाह ने पत्र तैयार कराया. शर्त के मुताबिक, अगर सरकार सपा की बनी तो विजय सिंह की चार बीघा जमीन सालभर के लिए शेर अली के अधीन रहेगी और वह उसे जोतेंगे. जबकि भाजपा सत्ता में लौटी तो शेर अली की चार बीघा जमीन सालभर के लिए विजय सिंह के पास रहेगी. इस बात से मुकर न जाएं, इसके लिये गांव के प्रमुख लोग किशनपाल सेंगर, जय सिंह शाक्य, कन्ही लाल, राजाराम, उमेश, राजीव कुमार, सतीश कुमार सहित 12 गवाह ने पत्र तैयार कराया और उस पर अपनी गवाही दी है. भरी पंचायत में पत्र लिखा गया और फैसला हुआ इसके बाद यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है.

Advertisement

विवाद कब और क्यों शुरू हुआ?

शेर अली ने आजतक से बातचीत के दौरान शर्त की बात स्वीकार की है. साथ ही ये भी कहा कि शर्त वाले दिन ही विजय सिंह के भाई मेरे घर पर आए थे और कहने लगे की विजय शराब पीता है उसकी इस बात को खत्म करो. शेर अली ने बात खत्म करने पर सहमति भी दी साथ ही ये भी कहा कि मैं अपनी बात से पीछे हटने वाला नही हूं. शेर अली ने बताया कि शर्त खत्म करने वाली बात को लेकर मेरी बात विजय सिंह से फ़ोन पर भी कराई गयी थी.जब हमने पूछा कि क्या शर्त वापसी पर कुछ लिखापढ़त हुई तब शेर अली ने कहा हमने तो कहा था लेकिन कुछ ऐसा हुआ नही था .अब बीजेपी सरकार बनने पर मुझसे शर्त पूरी करने को कहा जा रहा है. चूंकि अब बीजेपी सरकार आ गयी है मुझ पर दबाब पड़ेगा तो जमीन मुझे देनी पड़ेगी.

जमीन गंवाने वाले परिवार ने क्या बताया?

विजय सिंह से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने बात नहीं की .जब गांव में अन्य लोगो से इस शर्त पर बात करनी चाही तो किसी ने भी साफ साफ कुछ भी नहीं बताया, लेकिन हमारी बात विजय सिंह के भतीजे सोनू सिंह (23) से हुई .सोनू ने बताया कि हमारे चाचा की शर्त लगी थी ये बात सही है ,ये बात भी सही है कि हमारे पापा और परिवार के लोग उसी रात शेर अली के घर गए थे इस बात को खत्म करने शेर अली मान भी गए थे लेकिन बाद में गांव में ये बात कहने लगे कि शेर अली अपनी बात से पीछे नहीं हटता है, जवान का पक्का है .जब हमने सोनू से पूछा कि क्या शेर अली ने इसे शर्त को लिखकर ही खत्म करने को कहा था इस पर सोनू ने कहा कि शेर अली ने तो रात के बाद गांव में दूसरी बातें कहना शुरू कर दिया. हम तो बात खत्म करने गए थे ,कागज पर भी सब बातें आ जाती लेकिन शेर अली ने गांव में ऐसा प्रचार करना शुरू किया कि हम शर्त हारने के डर से उसके घर गए थे फिर हमारे चाचा ने भी शर्त चालू रखी. हमारा बड़ा और संपन्न  परिवार है. हम नहीं चाहते थे कि शेर अली का नुकसान हो, शेर अली की 3 लड़कियां है एक बेटा है, यंही सोचकर उसके घर गए थे.लेकिन उसने इस बात को गलत समझा. वो शर्त हार चुका है और अहम भी दिखा रहा है. हम शर्त जीतने के बाद भी सब छोड़ देंगे ,बल्कि कुछ दे भी देंगे लेकिन उसे अपना अहम छोड़ना होगा. अब इस शर्त पर सबकी निगाहें बनी हुई हैं.

Advertisement


 

Advertisement
Advertisement