स्मारक घोटाला मामले में हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने महत्वपूर्ण आदेश सुनाया है. इसके तहत 2014 से चल रही स्मारक घोटाले की जांच अब 4 सप्ताह में पूरी करनी होगी. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने स्मारक घोटाला मामले में FIR रद्द करने से इंकार कर दिया है. हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में डबल बेंच ने बाबू सिंह कुशवाहा की याचिका की सुनवाई में यह आदेश दिया है. स्मारक घोटाले में दर्ज एफआईआर में बसपा सरकार के पूर्व खनन मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने FIR को कोर्ट में चुनौती दी थी.
इस मामले में 7 साल का वक्त बीत जाने के बाद भी जब कोई साक्ष्य नहीं मिला तो इस मामले में दर्ज FIR को रद्द करने की गुहार लगाई थी. लोकायुक्त की जांच के बाद विजिलेंस ने जनवरी 2014 में लखनऊ के गोमतीनगर थाने में बाबू सिंह कुशवाहा व नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत कई लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी.
विजिलेंस पूरे मामले की जांच कर रहे हैं. बीते सप्ताह बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी से विजिलेंस टीम ने पूछताछ भी की थी.
पूछताछ के दौरान विजिलेंस टीम ने स्मारक के निर्माण, निर्माण को लेकर हुई बैठक, ठेका आवंटन की कार्रवाई, स्मारक में लगे पत्थरों की ढुलाई और तराशने के काम जैसे फैसलों से जुड़े कई सवाल किए. आरोप था कि लखनऊ और नोएडा में बने स्मारकों में लगे पत्थरों की ढुलाई में करोड़ों का खेल हुआ. स्कूटर के नंबर पर ट्रक का नंबर बता कर पत्थर ढुलाई का पेमेंट करवा लिया गया.
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राजस्थान से पत्थरों को लाने का दिखाकर मिर्जापुर में ही पत्थर तराशे गए. करोड़ों के इस खेल में नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा बसपा सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री रहने के चलते विजिलेंस जांच में अहम हैं.
बीते एक साल के दौरान विजिलेंस ने चार अफसर समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. अब एक बार फिर स्मारक घोटाले में विजिलेंस की जांच तेज हुई है.