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मार्केंडेय काटजू को पद से हटाए जाने की मांग

भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्केंडेय काटजू के कई लोमहर्षक और गंभीर अपराधों के सजायाफ्ता मुजरिमों के पक्ष में खड़े होने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर और देवेंद्र कुमार दीक्षित ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को प्रत्यावेदन भेजकर उन्हें तत्काल पद से हटाए जाने की मांग की है.

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भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्केंडेय काटजू के कई लोमहर्षक और गंभीर अपराधों के सजायाफ्ता मुजरिमों के पक्ष में खड़े होने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर और देवेंद्र कुमार दीक्षित ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को प्रत्यावेदन भेजकर उन्हें तत्काल पद से हटाए जाने की मांग की है.

अपने प्रत्यावेदन में उन्होंने कहा है कि काटजू को सरकार द्वारा निश्चित वेतन दिया जाता है और प्रेस काउंसिल एक्ट की धारा 24 के अनुसार वह लोक सेवक हैं. इसके विपरीत काटजू लगातार अपने पद का दुरुपयोग करते हुए राष्ट्रविरोधी और आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई सजा के विरुद्ध सजायाफ्ता लोगों के पक्ष में खड़े हो रहे हैं.

याचियों का कहना है हालांकि काटजू को एक नागरिक के रूप में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन एक लोक सेवक के रूप में उन पर बंदिशें भी हैं. उनका यह कृत्य और भी अधिक गंभीर है क्योंकि वह सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हैं और अक्सर अपने नाम के साथ 'जस्टिस' शब्द लगाए दिखते हैं.

याचियों ने कहा है कि भारतीय प्रेस परिषद की वेबसाइट और काटजू के ब्लॉग 'सत्यम ब्रूयात' पर भी 'जस्टिस काटजू' शब्द का प्रयोग होता है. इसलिए वर्ष 1993 के दिल्ली बम विस्फोट के अभियुक्त देविंदर पाल सिंह भुल्लर (नौ लोग मारे गए थे और 17 घायल हुए थे) और वर्ष 1993 के मुंबई बम कांड के दोषी संजय दत्त और जैबुन्निसा काजी के पक्ष में खड़ा होना और उनका पक्ष लेना एक लोक सेवक को शोभा नहीं देता.

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याची नूतन और दीक्षित ने निवेदन किया है कि यदि काटजू इस प्रकार के जघन्य अपराधों के दोषी लोगों के लिए लड़ना चाहते हैं तो उन्हें भारतीय प्रेस परिषद से मुक्त कर देना चाहिए, ताकि वे सरकारी पद का लाभ उठाए बिना और जस्टिस शब्द का प्रयोग किए बिना देश के एक नागरिक के रूप में किसी का भी पक्ष लेने के लिए स्वतंत्र हैं.

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