तीर्थराज प्रयाग में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम-महाकुंभ मेले के तरह-तरह के रंगों के बीच सबसे लंबी बांसुरी सबके आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, जिसका जादू देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं पर छाया हुआ है.
लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में शामिल इलाहाबाद के कलाकार सालकीन अहमद गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर सात फीट लंबी बांसुरी बजाकर लोगों को आस्था के महापर्व में शामिल होने का न्योता दे रहे हैं. इसके साथ ही वह इस बांसुरी की तान के जरिये महाकुंभ मेले में देश-विदेश से आने वाले लोगों को भारतीय संस्कृति से रू-ब-रू भी करा रहे हैं.
सालकीन कहते हैं, 'मेरी बांसुरी की तान लोगों को न्यौता दे रही है कि वे महाकुंभ मेले में आएं और आस्था के अलग-अलग रंगों से रू-ब-रू होकर भारतीय संस्कृति और परंपरा को गहराई से समझें.'
उनका कहना है कि महाकुंभ मेला एक धर्म या मजहब विशेष का न होकर समूचे देश के सांस्कृतिक वैभव का प्रतीक होता है, इसलिए हर किसी को यहां जरूर आना चाहिए.
मकर संक्रांति के शाही स्नान के साथ शुरू हुए महाकुंभ मेले के पहले दिन से सालकीन अब तक संपन्न हुए हर शाही स्नान पर संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं को बांसुरी बजाते नजर आ चुके हैं.
इसके अलावा आम स्नान के दिन भी सालकीन संगम पर भक्ति भाव में सराबोर कर देने वाली धुनें निकालने मेला क्षेत्र पहुंचते हैं.
सालकीन की बांसुरी की तान पर लोग भक्ति भाव में मगन में होकर झूमने लगते हैं और आस्था के समंदर में गोते लगाते हुए एक अलग ही दुनिया में खो जाते हैं. श्रद्धालु खासकर विदेशी जब सालकीन को देखते हैं तो अपने मोबाइल के कैमरे से बांसुरी बजाते उनकी फोटो खींचना नहीं भूलते. तीर्थराज प्रयाग में मकरसंक्रांति से शुरू हुआ महाकुंभ मेला आगामी 10 मार्च को समाप्त होगा.