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UP: कुछ इस तरह छुड़ाई जा रही बच्चों के पब्जी और मोबाइल गेम खेलने की लत

पब्जी खेलने वाले तमाम बच्चों के माता-पिता को यह डर सताने लगा है. कहीं उनका बच्चा नासमझी में कोई बड़ी अनहोनी ना कर बैठे. बच्चे को लगी मोबाइल की लत छुड़वाने के लिए तमामा माता-पिता कई तरह की कोशिशों में जुटे हैं.

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मोती लाल नेहरू मंडलीय हॉस्पिटल (फोटो-आजतक)
मोती लाल नेहरू मंडलीय हॉस्पिटल (फोटो-आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मोबाइल पर गेम खेलने की लत से परेशान माता-पिता
  • लत छुड़ाने के लिए मनोवैज्ञानिकों के पास पहुंच रहें बच्चे

कुछ दिनों पहले लखनऊ में पब्जी गेम खेलने वाले नाबालिग ने अपनी मां को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था. अब पब्जी खेलने वाले तमाम बच्चों के माता-पिता को यह डर सताने लगा है. कहीं उनका बच्चा नासमझी में कोई बड़ी अनहोनी ना कर बैठे. माता-पिता अपने बच्चे की मोबाइल फोन की आदतों को छुड़ाने के लिए कई तरह की कोशिशों में जुटे हैं.

प्रयागराज के मोती लाल नेहरू मंडलीय हॉस्पिटल में बनाए गए मन कक्ष में बड़ी तादात में बच्चे और बुजुर्ग मोबाइल की लत छुड़वाने के लिए आ रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक मोबाइल पर गेम खेलने की लत से परेशान लोग बड़ी तादात में उनके पास आ रहे हैं. हम उनके मन की बात सुनते हैं और उनकी परेशानी को सुलझाने का प्रयास करते हैं. इस काम में हमें अबतक काफी सफलता मिली है. यह मोबाइल एडिक्शन सेंटर साल 2019 में खुला था. 

लॉकडाउन में मोबाइल फोन बच्चों के काफी करीब आ गया. बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के लिए फोन का इस्तेमाल करने लगे. जिसकी वजह से पता नहीं चल सका बच्चों को कब इसकी लत लग गई. डॉक्टर ईशान्य राज और डॉ राकेश पासवान हॉस्पिटल में आने वाले हर मरीज से उसकी पूरी जानकारी लेते हैं. फिर उनका इलाज किया जाता है. दोनों डॉक्टर जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम  टीम का अहम हिस्सा हैं. 

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जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रयागराज के मुताबिक मोबाइल से जुड़ी कई तरह की समस्याएं का इलाज किया जाता है. इसमें गेमिंग और सोशल मीडिया एडिक्शन ज्यादा रहता है. यहां पर साइकोथेरेपी के माध्यम से परिवार की काउंसिलिंग की जाती है. अगर बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है तो  मरीज को दवा दी जाती है. 

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