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आजीवन कारावास की सजा काट रहे इस कैदी के कायल क्यों हैं जेलर और अधिकारी!

जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अंकुर के परिवार में उसका 12 साल का बेटा, पत्नी, मां और छोटा भाई है. अंकुर ने सजा के दौरान कहा कि अपराध की दुनिया में गम और जुदाई के अलावा कुछ नहीं मिलता है.

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शानदार पेंटिंग्स बनाता है जेल में बंद अंकुर
शानदार पेंटिंग्स बनाता है जेल में बंद अंकुर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आजीवन कारावास की सजा काट रहा युवक बनाता है शानदार पेंटिंग्स
  • हत्या के मामले में जेल में बंद है गौरव प्रताप सिंह उर्फ अंकुर

अगर किसी के मन में इच्छाशक्ति हो तो वह कुछ भी कर सकता है, कुछ भी कर गुजरता है ये तो आपने सुना ही होगा लेकिन मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में एक कैदी इसकी मिसाल है.

मेरठ के जिला कारागार में आजीवन कारावास की सजा काट रहे गौरव प्रताप सिंह उर्फ अंकुर की कलाकारी और हुनर के जेल में भी लोग मुरीद हो गए. दरअसल जो भी जेल की दीवारों पर उसकी कलाकारी को देखता है वो बस उसे देखता ही रह जाता है. अंकुर बेहद प्रतिभाशाली पेंटर हैं.

उत्तर प्रदेश के रायबरेली का रहने वाला गौरव प्रताप सिंह उर्फ अंकुर 11 साल पहले सन 2011 में हत्या के मामले में पकड़ा गया था और उसको लखनऊ की जेल भेजा गया था. हालांकि जेल में रहकर भी उसने ऐसी हरकतें की कि उसको वहां से उन्नाव की जेल भेज दिया गया और 2019 में उन्नाव जेल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें एक शख्स तमंचा लहराते हुए दिखाई दे रहा था. 

 पेंटिंग

जांच में पता चला कि तमंचा मिट्टी का बना हुआ था और इसको बनाने वाला भी गौरव प्रताप सिंह उर्फ अंकुर था. इसके बाद उसे मेरठ की चौधरी चरण सिंह जिला कारागार भेज दिया गया जहां उसे अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुना दी.

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इसके बाद मेरठ जेल पहुंचकर गौरव प्रताप सिंह ने अपनी गतिविधियों पर अंकुश लगाया और जेल की दीवारों पर कुछ चित्रकारी करने लगा जिसको जेल के  अधिकारियों ने देखा. इसी दौरान मेरठ नगर निगम की एक टीम प्रधानमंत्री के चलाए जा रहे स्वच्छ भारत अभियान के तहत जेल में दीवारों पर कुछ पेंटिंग बनाने के लिए पहुंची और गौरव प्रताप सिंह उर्फ अंकुर को नगर निगम की टीम के साथ बतौर सहयोगी लगाया गया.   

पेंटिंग

गौरव प्रताप सिंह उर्फ अंकुर के हाथ में पेंटिंग का ब्रश आया और उसने पेंटिंग के हुनर को ऐसा अपनाया कि अब वो उसका भविष्य बन चुका है. गौरव प्रताप सिंह उर्फ अंकुर ने अब तक लगभग ढाई सौ कैनवस पेंटिंग और लगभग 30 वॉल पेंटिंग जेल में रहकर बनाई हैं.

इसको लेकर गौरव प्रताप सिंह ने कहा कि जेल प्रशासन ने उसकी इस काम के में बहुत मदद की और मेरठ जेल के सुपरिटेंडेंट राकेश कुमार से उसको पिता जैसा प्यार मिला.  उन्होंने ही उसे पेंटिंग बनाने के लिए सारा सामान मुहैया कराया और अब वह अपनी पेंटिंग बनाने में ही पूरा दिन गुजरता है. वह अब नए-नए आइडिया पर  पेंटिंग बनाता है.

कारागार के जेल सुपरिटेंडेंट राकेश कुमार का कहना है कि गौरव प्रताप सिंह उर्फ अंकुर को 25 रुपये प्रतिदिन मेहनताना दिया जाता था लेकिन अब उसको ₹40 प्रतिदिन के हिसाब से मेहनताना दिया जाता है और उसकी बनाई हुई पेंटिंग कई अधिकारियों को गिफ्ट के रूप में दी गई.

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उसके बनाए पेंटिंग की हर अधिकारी सराहना करते हैं ,उनका कहना है कि उन्होंने अब गौरव प्रताप सिंह उर्फ अंकुर के पैसे बढ़ाए जाने को लेकर एक प्रस्ताव भी शासन को भेजा है जिसमें कम से कम 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से गौरव प्रताप सिंह उर्फ अंकुर को मिले जिससे उसका घर परिवार भी चल सके. 

जेल सुपरिटेंडेंट राकेश कुमार का कहना है कि गौरव प्रताप सिंह उर्फ अंकुर के परिजनों को भी उसके द्वारा बनाई गई पेंटिंग को दिखाया तो उनको भी बहुत खुशी हुई की अंकुर ने यह पेंटिंग बनाई है.    

पेंटिंग


गौरव प्रताप सिंह  का कहना है कि बचपन से ही उसको पेंटिंग का शौक था लेकिन कभी मौका नहीं मिल पाया और अब वह पेंटिंग के कार्य में ही आगे बढ़ना चाहते हैं. अंकुर का कहना है कि उसको एहसास है कि उसने गलती की है और उसका प्रायश्चित कर रहा है. 

जेल सुपरिटेंडेंट राकेश कुमार का कहना है कि हर किसी के अंदर कुछ ना कुछ अच्छाई होती है और उसको परखने की जरूरत होती हैं. कुछ गलतियां हो जाती हैं जिससे लोग जेल में आ जाते हैं. ऐसे लोग सुधरते भी हैं बस इच्छाशक्ति होनी चाहिए.

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