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पंचायत का तुगलकी फरमान, मां का अंतिम संस्कार नहीं कर सका बेटा

यूपी के कानपुर में मलिन बस्ती की वाल्मीकि समाज की पंचायत ने एक बेटे को उसकी मां के निधन पर अंतिम संस्कार करने से रोक दिया. शुक्रवार दोपहर बाद हुए अंतिम संस्कार में बेटे को इसलिए शामिल होने नहीं दिया गया क्योंकि...

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यूपी के कानपुर में मलिन बस्ती की वाल्मीकि समाज की पंचायत ने एक बेटे को उसकी मां के निधन पर अंतिम संस्कार करने से रोक दिया. शुक्रवार दोपहर बाद हुए अंतिम संस्कार में बेटे को इसलिए शामिल होने नहीं दिया गया क्योंकि युवक ने अपनी उम्र में बड़ी और छह बच्चों की विधवा मां से शादी कर ली थी. जिसके चलते समाज ने उसका हुक्का पानी बंद कर दिया था.

वाल्मीकि समाज के सदस्य विजय कुमार ने बताया, 'यह हमारे समाज की पंचायत का फैसला था कि मिथुन ने समाज के नियमों के खिलाफ काम किया है, इसलिये उसका समाज से बहिष्कार कर दिया जाए और उसे अपने मोहल्ले में भी न घुसने दिया जाए. यही वजह है कि मिथुन की मां के निधन पर भी उसे मोहल्ले में आने से रोक दिया गया.'

मोहल्ले में घुसने से रोका
उसने बताया कि मिथुन के खिलाफ वाल्मीकि समाज के इस फैसले में मिथुन के परिवार के लोग भी शामिल थे. गुरुवार रात मिथुन की मां रामरती की मौत उर्सला अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद हो गई थी. मां की मौत के समय मिथुन अस्पताल में ही था. मौत के बाद जब मिथुन जब अपने मोहल्ले उस्मानपुर मां के शव को ले जाने लगा तो मोहल्ले वालों ने उसे रोक दिया.

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बड़े भाई ने किया अंतिम संस्कार
यही नही, मिथुन की पत्नी मीना और उसके पहले पति से जन्मे बच्चों को भी मोहल्ले में नही जाने दिया गया. शुक्रवार दोपहर बाद मिथुन की मां रामरती का अंतिम संस्कार बाकरगंज मलिन बस्ती में किया गया जिसमें मिथुन शामिल तो हुआ लेकिन उसे मां के अंतिम संस्कार के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं होने दिया गया. मां का अंतिम संस्कार मिथुन के बड़े भाई रविन्द्र और भतीजे साजन ने किया.

मिथुन ने कहा, 'मैंने एक विवाहित महिला से शादी कर ली थी इसलिये समाज ने हमारा बहिष्कार कर रखा है, इसलिये हमें मोहल्ले में नहीं जाने दिया गया और हम मां की अंतिम संस्कार में शामिल होने यहां बाकरगंज आए हैं.'

- इनपुट भाषा

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