हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में हुई मुठभेड़ों पर एनएचआरसी (नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन) की नजर गड़ गई है. कमीशन ने लिखित रूप से नोटिस देकर प्रदेश के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है कि किन हालात और परिस्थितियों में इन मुठभेड़ों को अंजाम दिया गया और क्या इन मुठभेड़ों में तमाम तय मानकों का पालन किया गया.
नोटिस के मुताबिक, पिछले छह महीनों में 433 एनकाउंटर्स किए गए जिसमें 19 अपराधी मारे गए और 89 अपराधी घायल हुए. इन मुठभेड़ों के दौरान प्रदेश पुलिस के 98 कर्मी भी घायल हुए जिनमें एक की मौत भी हो गई थी.
इस नोटिस को लेकर उत्तर प्रदेश का पुलिस महकमा पशोपेश में है क्योंकि एनएचआरसी के नोटिस के बाद उनकी अपराधियों के खिलाफ मुहिम को झटका लग सकता है. हालांकि उत्तर प्रदेश के आला अधिकारी इस पर माकूल जवाब देने की बात भी कर रहे हैं.
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर UP पुलिस आनंद कुमार ने कहा, 'एनएचआरसी ने हाल की घटनाओं का हवाला देते हुए पूछा है कि क्या मुठभेड़ों में किसी तरह की कोई कोताही बरती गई है. वजह भी साफ है हाल के दिनों में योगी सरकार आने के बाद अपराधियों की धरपकड़ और मुठभेड़ की संख्या में खासा इजाफा हुआ है. आंकड़ों के मुताबिक पिछले 8 महीने में करीब 3000 अपराधी पकड़े गए हैं जिसमें बहुत सारे इनामी बदमाश भी शामिल है इसके अलावा पुलिस की धरपकड़ के चलते बहुत से अपराधियों ने प्रदेश के बाहर पनाह ली है. करीब 500 अपराधी ऐसे हैं जिन्होंने अपनी जमानत कैंसिल करा कर के जेल में ही रहना बेहतर समझा.'
गौरतलब है कि, पुलिसिया कार्रवाई में अब तक 28 बदमाशों को मारा जा चुका है इनमें से ज्यादातर दुर्दांत अपराधी थे और उनके खिलाफ दर्जनों मुकदमे दर्ज है. पुलिस की ऐसी ताबड़तोड़ कार्रवाई देखकर अपराधी भी सकते में हैं और मुठभेड़ों बढ़ती संख्या को लेकर एनएचआरसी ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है. यही वजह है कि एनएचआरसी ने प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा है. बहरहाल नोटिस का जवाब चाहे जो हो लेकिन जानकारों का मानना है कि आयोग के ऐसे रूख से पुलिस अब मुठभेड़ करने से कतराएगी ताकि उनकी कार्यवाही पर कोई सवाल ना उठे.