बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने झांसी की रैली की शुरुआत में ही कांग्रेस और राहुल गांधी को आड़े हाथ लिया. मोदी ने पहली बार सार्वजनिक मंच से कहा कि कांग्रेस को तो आपने 60 साल दिए, मुझे 60 महीने दीजिए. मैं 60 महीने में देश की तस्वीर बदल दूंगा. मोदी ने कांग्रेस के साथ ही समाजवादी पार्टी और बसपा को भी लताड़ा.
पढ़ें मोदी का पूरा भाषण...
भारत माता की जय (मंच पर बैठे नेताओं को संबोधन)...और बुंदेलखंड के वीर सपूत भाइयों और बहनों
ये मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे इस वीर भूमि पर आने का सौभाग्य मिला. और जब भी 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की बात आती है, तो बुंदेलखंड का परचम, झांसी का परचम पूरे हिंदुस्तान में नई ऊंचाइयों के दर्शन कर आता है. ये वीर भूमि है. ये प्रज्ञावानों की भी भूमि है. और जिसके लिए हमारी वर्तमान पीढ़ी गर्व करती है, वो हॉकी के जादूगर ध्यानचंद भी इसी मिट्टी की पैदाइश थे. (भीड़ ने किया चीयर्स) उस मिट्टी को मैं नमन करता हूं.
मैं आपके पास रोने धोने नहीं आया हूं. न आंसू बहाने आया हूं. न आंसू बहाने वालों की कोई कथा सुनाने आया हूं. मैं आज आपके यहां आया हूं आपके आंसू पोछने का विश्वास देने के लिए. मैं संकल्प लेकर आया हूं कि बुंदेलखंड की कठिनाइयों में जी रही, गरीबी में पनप रही, यहां के गरीब के आंसू पोंछने का मैं संकल्प लेकर आया हूं.
नदियों और पानी के बावजूद बुंदेलखंड प्यासा
क्या यहां की जनता में दम नहीं है, यहां के किसानों में दम नहीं है. अगर दम नहीं है...तो लखनऊ और दिल्ली में नहीं है. (भीड़ का शोर) उनको परवाह नहीं है. भाइयों बहनों. मैं हेलिकॉप्टर से आ रहा था. इतनी सारी नदियां, इतना पानी, उसके बाद भी बुंदेलखंड प्यासा क्यों है. यहां की धरती सूखी क्यों है. यहां का किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर क्यों होता है.
भाइयों बहनों मैं दिल्ली की सल्तनत से सीधा सवाल पूछता हूं. जवाब दे. क्या कारण है कि जहां जहां उनके पैर पड़े, उनको शासन करने का अवसर मिला है. वो चाहे आंध्र प्रदेश हो, चाहे महाराष्ट्र हो. उसमें भी चाहे विदर्भ का सूखा इलाका हो और चाहे कांग्रेस का समर्थन करने वाली यहां की सरकार हो. इन्हीं सब राज्यों में सबसे ज्यादा मेरे किसान भाई बहन आत्महत्या क्यों करते हैं. हिंदुस्तान के और राज्यों में ऐसा है क्या. न इन लोगों को गांव की परवाह है, न गरीब की परवाह है, न किसान की परवाह है.
अपनी जेब के लिए बांटते हैं पैकेज
जब चुनाव आते हैं तो हमारे कांग्रेस के मित्र रेवड़ी बांटने लग जाते हैं. और आजकल जहां जाते हैं, वहां पैकेट और पैकेज की बातें करते हैं. आपके यहां भी आया था. आपको लगा होगा कि भला करने आया था. नहीं मित्रों. वो पैकेज आपका भला करने नहीं, वो तो यूपी के नेताओं का मुंह बंद करने लिए टुकड़ा फेंकने के लिए भेजा गया था. दिल्ली और लखनऊ ने मिलकर आपस में बांट लिया पैकेज, आपके यहां नहीं आया.
कोई मुझे बताए, यहां मंडी का निर्माण होने वाला था. हुआ (भीड़ से आवाज आती है 'नहीं हुआ') यहां कुआं खोदने की बात की गई थी. नजर आता है. यहां नदियों पर चेकडैम बनाने की बात हुई थीं. कहीं पानी नजर आता है. तो रुपया गया कहां. ये पैकेज उनके पॉकेट के लिए होता है.
शिवराज ने खर्च की पैकेज की पाई-पाई
और भाइयों बहनों, ये बुंदेलखंड को जो पैकेज मिला, उसका आधा हिस्सा यूपी के बुंदेलखंड को मिला और आधा एमपी में पड़ने वाले बुंदेलखंड को. और आज मैं सीना तानकर गर्व से कह सकता हूं कि मेरी पार्टी के सिपाही आदरणीय शिवराज सिंह जी चौहान, जब उनके पास पैकेज आया, तो पाई पाई बुंदेलखंड की भलाई के लिए खर्च हुई. उसका नतीजा ये रहा कि 30 प्रतिशत से ज्यादा भूमि को सिंचाई पहुंचने का काम पूरा कर दिया. उस इलाके में पहले जो फसल होती थी. उससे तीन गुना फसल शिवराज जी ने पैदा कर दिखाई. आज मैं ये बीजेपी के नेता के रूप में नहीं कह रहा हूं.
प्लानिंग कमीशन, जिसके अध्यक्ष देश के पीएम होते हैं. उसने कहा कि इस पैकेज का उत्तम उपयोग किसी ने किया, तो एमपी की सरकार ने, बीजेपी ने किया और यहां, यहां सब लूट लिया. आपके नाम पर आता है. जाता इनकी जेब में है. और इसलिए भाइयों-बहनों, अब ये पैकेज की बातें बहुत हो चुकी हैं. अब वक्त आ गया है कि सपा-बसपा-कांग्रेस को पैकिंग कर रवाना करो.
सपा के कारनामों से राममनोहर लोहिया को होती होगी पीड़ा
ये सपा यहां जो कारनाम करती है. राममनोहर लोहिया जहां भी होंगे, उनको इतनी पीड़ा होती होगी, जिसकी कल्पना भी नहीं कर सकते. ये सबका लूटते हैं. समाजवादी का स, बहुजन समाज पार्टी का ब और कांग्रेस का. यानी सबका. ये तीनों तिकड़ी लूटते हैं. इन्होंने यूपी को, बुंदेलखंड को तबाह कर दिया है.
मैंने भी यूपी में दौरा किया है. जब संगठन का काम करता था, यहां के हर जिले में गया हूं. यहां के लोगों को जाना है समझा है. यहां की प्राकृतिक संपदा को समझा है. मैं विश्वास से कहता हूं कि यूपी के पास इतना सामर्थ्य है कि यूपी अकेला अपने बलबूते पर पूरे हिंदुस्तान की गरीबी को मिटा सकता है. ये ताकत यूपी में है. लेकिन न उनको विकास करने में रुचि है, न यहां के नौजवानों का भविष्य बनाने में रुचि है. उन्हें सिर्फ सत्ता का गणित बनाना. गठजोड़ की राजनीति करना, भाई से भाई को लड़ाना, सबको बांटते जाना, यही इनका कारोबार है.
हम आपकी तकदीर भी बदल देंगे और देश की तस्वीर भी बदल देंगे
भाइयों बहनों अगर यूपी की धरती पर, सब वादों का इकट्ठा यहां लालन पालन हुआ है. सारे वाद यहां उभार कर रखे हैं. ये धरती है, जहां एक तरफ कांग्रेस का अहंकारवाद है, समाजवादी पार्टी का परिवारवाद है और बहुजन समाज पार्टी का व्यक्तिवाद है, ये वादों से भरे हुए लोग आपके वादे पूरा करना नहीं चाहते. वे अपना ही पेट भरना चाहते हैं. और इसलिए भाइयों, बहनों. जब तक उत्तर प्रदेश इन तीनों प्रकार के संकटों से मुक्ति का संकल्प नहीं करता, तब तक मेरे नौजवान मित्रों, आपका भाग्य नहीं बदल सकता.
मित्रों आज मैं, शासन के मेरे अनुभव के आधार पर आपको विश्वास दिलाने आया हूं. पिछले 12-13 साल में जो काम करने का सौभाग्य मिला, उस काम को देखते हुए आपको विश्वास दिलाने आया हूं. मैं देशवासियों को कहता हूं, झांसी की धरती से कहता हूं, रानी लक्ष्मीबाई का पुण्य स्मरण करते हुए कहता हूं. मेरे देशवासियों, आपने कांग्रेस को साठ साल दिया. हमें सिर्फ साठ महीने देकर के देखो. साठ साल में उन्होंने जो तबाह किया है. मैं बीजेपी के सिपाही के नाते विश्वास दिलाता हूं कि आपने साठ महीने के लिए भी अवसर दिया तो हम आपकी तकदीर भी बदल देंगे और देश की तकदीर भी बदल देंगे.
(मोदी-मोदी का शोर...भाषण रुक जाता है कुछ देर के लिए)
यूपी-बिहार के लोगों की मेहनत से गुजरात चमक रहा है
भाइयों-बहनों, आप मुझे बताइए. मेरे नौजवान मित्र मेरे सवाल का जवाब देंगे. मन से बात करेंगे. क्या बुंदेलखंड का कोई नौजवान. अपना गांव, अपना घर छोड़कर के मुंबई की, गुजरात की झुग्गी झोंपड़ी में जाना चाहता हूं.(नहीं का शोर)अपने बूढे मां बाप को छोड़ना चाहता है, रोजी के लिए दर दर भटकना चाहता है (नहीं का शोर)
भाइयों बहनों इन्होंने आपको गांव-परिवार छोड़ने के लिए मजबूर किया. पेट भरने के लिए. मां बाप का पेट भरने के लिए नौजवान गुजरात की धरती पर आकर पसीना बहा रहा है.
भाइयों मैं गर्व से कहता हूं यूपी-बिहार आंध्र के लोगों ने इतना पसीना बहाया कि उनकी मेहनत से मेरा गुजरात चमक रहा है. अगर यही पसीना यहां बहा होता तो मेरा उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड कहां से कहां पहुंच गया होता.
मैंने एक नया प्रयोग किया है. हमने कुछ कारखानेदारों को बुलाया. इनमें यूपी के बिहार के नौजवान मजदूरी करते हैं. अब वो आठ घंटा काम करते हैं. फिर चले जाते हैं. एक कमरे में 25 लोग रहते हैं. मैंने इन्हें कहा कि आप हिसाब लगाइए कि अगर ये सप्ताह में छह दिन आठ घंटे काम करता है. जितना आउटपुट देता है. उसका हिसाब लगाइए. अगर उसका मन करता है, दो चार घंटे ज्यादा काम करने का. और उसको जोड़िए और उस आउटपुट के आधार पर उसके काम के घंटे तय किए जाएं. हौसला होगा तो काम करेगा, नहीं करेगा, तो नहीं करेगा.ये अपने आपको बादशाह और शाहजादा मानते हैं
मित्रों पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया. यहां के जो नौजवान हैं, वे आठ के बजाय 12-13 घंटे काम करने लगे, एक साल का काम छह महीने में करने लग गए. मैंने कहा कि ये जो नौजवान छह महीने में काम कर गए हैं. उन्हें तनख्वाह के साथ छह महीने की छुट्टी दो. और छुट्टी तब दो, जब यहां खेती का मौसम हो, खेत का काम निकला हो. वो यहां खेत में काम करेगा. मां बाप की मदद करेगा. तनख्वाह मिलेगी. फिर वापस जाकर काम करेगा. ये पायलट प्रोजेक्ट सफल हो गया, तो मेरे नौजवान यूपी का भी भला करेंगे और गुजरात का भी. क्यों आया ये विचार. क्योंकि मन किया कि यहां के लड़कों को हर तरह के अवसर मिलने चाहिए.
मगर दिल्ली के पास सोचने के लिए समय भी नहीं है.अब लोकसभा का चुनाव आ गया है. ये दिल्ली वालों को अपने काम का हिसाब देना चाहिए कि नहीं. अब कहते क्या हैं. जो साझा घूम रहे हैं. भ्रष्टाचार पर आपको क्या कहना है, जवाब दो. क्यों नहीं दे रहे जवाब. ये महंगाई, ये माताओं-बहनों पर बलात्कार. जवाब देने को तैयार नहीं. आप मुझे बताइए कि ये चुनी हुई सरकार, ये जनता की सेवक है कि नहीं. जनता को जवाब देना चाहिए कि नहीं. ये अपने आपको बादशाह और शाहजादा मानते हैं.
चुनाव आए तो पुराने जख्म कुरेद रहे हैं शहजादे
मैं सुन रहा हूं. शाहजादे ने जो भाषण दिया. मैं गंभीर सवाल उठाना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि जब मेरी दादी मर गई. मुझे बहुत गुस्सा आया. मैं शाहजादे से पूछना चाहता हूं कि क्या ये सच है कि सभी कांग्रेसियों को गुस्सा आया. क्या ये सच है कि आपने और आपकी पार्टी के लोगों ने हजारों सिखों को जिंदा जला दिया और आज तक एक को भी सजा नहीं हुई. क्या आपको सिर्फ दादी का मौत का गुस्सा आया. क्या आपको उन हजारों सिखों को मारने वालों पर गुस्सा आया. पीड़ा हुई. और आज जब दिल्ली में चुनाव आए हैं, तो आपने उस घाव पर नमक छिड़कने का पाप किया है. जिन परिवारों के नौजवानों को जिंदा जला दिया गया और आज आप दादी की मौत पर आए गुस्से की बात कर रहे हो. मानवता में यकीन करने वाला कोई भी व्यक्ति उन्हें माफ नहीं कर सकता.
क्यों हिंदुस्तान की इंटेलिजेंस शाहजादे को जाकर रिपोर्ट करती है
मैं गंभीर सवाल पूछता हूं. आखिर ये शाहजादे हैं कौन. एक एमपी हैं. क्या हिंदुस्तान के इंटेलिजेंस के लोग. भारत की अत्यंत गुप्त जानकारी उस व्यक्ति के साथ कैसे शेयर कर रहे हैं, जिसने गुप्तता की कोई शपथ नहीं ली है. देश जानना चाहता है और आए दिन हिंदुस्तान की सरकार के लिए घंटों विवाद करने वालों से भी पूछना चाहता हूं. कोई बताए क्यों हिंदुस्तान की इंटेलिजेंस शाहजादे को जाकर रिपोर्ट करती है. खुफिया एजेंसी के लोग उनके राजनैतिक भाषणों के लिए इनपुट देते हैं.
उन्होंने कहा कि मुजफ्फर नगर में आईएसआई मुस्लिम नौजवानों के संपर्क में है. शाहजादे, देश में हुकूमत की पार्टी की है. क्या कारण है कि आईएसआई आपकी नाक के नीचे यूपी में पैर पसारने की ताकत रखती है. आप क्या कर रहे हो. देश जवाब मांगता है.
आपने रिलीफ कैंप में रह रहे लोगों पर एक गंभीर लगाया है कि वे लोग आईएसआई से मिले हैं. शाहजादे साहब आपका जिम्मा है. वो कौन नौजवान हैं, उनके नाम सार्वजनिक करो. वे कौन हैं, जो आईएसआई के साथ मिले हैं. और अगर नाम घोषित नहीं करते हो,तो किसी कौम पर इस तरह का इल्जाम लगाने से पहले आपका जिम्मा बनता है. और अगर नाम नहीं है, तो देश के उन नौजवानों से आप सार्वजनिक माफी मांगो. ये आपका जिम्मा है.
दिल्ली की सरकार लगता है न्यूज एजेंसी है
ये दिल्ली की सरकार. ऐसा लगता है कि जैसे वो कोई न्यूज एजेंसी है. जिसका काम सिर्फ हमको खबर देना है. कि आईएसआई ये कर रही है. अरे तुम्हारा काम खबर देना है कि आईएसआई को ठीक करने का है.मुझे बताएं मित्रों, क्या आप ऐसे नेताओं पर भरोसा कर सकते हैं. उखाड़ फेंको.इसने तबाही का मंजर कर रखा है.और इसलिए भाइयों बहनों, ये गरीबी का मजाक उड़ा रहे हैं. इनके लिए, गरीबी एक मजाक का साधन बन गया है. पुराने जमाने में राजा महाराजाओं के बड़े बड़े महल हुआ करते थे. समय बीता. उनका पतन हुआ. युद्धों में पराजय हुई. समय रहते उनके बड़े बड़े महल नहीं संभले तो खंडहर हो गए. उनके बच्चों के बाप दादा अब खंडहर दिखाने ले जाते हैं. बताते हैं कि हमारे दादा के दादा यहां से राज करते थे. आजकल ये शाहजादे भी अपने पूर्वजों का पराक्रम देखने लगते हैं. हमारे पिता जी ने क्या किया. हमारी दादी जी ने क्या किया. हमारे नाना जी ने क्या किया. उनके पराक्रम का अवशेष देखने गरीब की झोपड़ी में जाते हैं. ये उनके पूर्वजों के पराक्रम का परिणाम है. आपके बुंदेलखंड में आए थे. राशन कार्ड भी ले गए. अब तक लौटाया भी नहीं. आपको याद है न. और वो बेचारी राशन कार्ड के लिए तरस रही है.
60 साल लग गए, आधी रोटी से पूरी रोटी तक पहुंचने में
शाहजादे नारा लगवाते हैं. लोग कहते थे कि आधी रोटी खाएंगे. अब शाहजादे कहते हैं कि पूरी रोटी बोलो. साठ साल लग गए, आधी रोटी से पूरी रोटी तक पहुंचने में. भैया. पेट भर रोटी में तो ये और 100 साल लगा देंगे. क्या आप इंतजार करना चाहते हो. गरीबों का मजाक उड़ा रहे हैं.
मित्रों आप बताइए क्या 26 रुपये में आपके परिवार का एक दिन का गुजार चल सकता है. शहर में रहने वालों का 32 रुपये में गुजारा हो सकता है. क्या इतने में परिवार के साथ चाय भी हो सकती है. पीएम जिस प्लानिंग कमीशन के अध्यक्ष हैं, वह कहता है कि आप 26 रुपये से, 32 रुपये से ज्यादा कमाते हो, तो आप गरीब नहीं हो. ये इनकी मानसिक गरीबी देखिए. ये लोग गरीबों का भला नहीं कर सकते. भाइयों बहनों गरीब कैसे गुजारा करता है, किस प्रकार से अपनी जिंदगी गुजारता है, उसका इन्हें पता तक नहीं है.
कांग्रेस, सपा, बसपा मुक्त भारत की है जरूरत
मित्रों आज जरूरत है, कांग्रेस मुक्त, सपा मुक्त और बसपा मुक्त भारत. देश को लूटने वालों को जब तक आप विदाई नहीं देंगे. आपका भला नहीं होगा. भाइयों बहनों, इसी धरती से 1857 में एक नारा गूंजा था. अपने बच्चे को पीठ पर बैठा कर वीरांगना लक्ष्मी बाई ने नारा दिया था. मेरी झांसी नहीं दूंगी. कहां था न.मित्रों 1857 का संग्राम, रोटी और कमल, एक क्रांति के प्रतीक बने थे.
भाइयों और बहनों ये संग्राम रोटी और कमल लेकर आया था और बुंदेलखंड जाग उठा था. आज हम एक बार फिर लक्ष्मी बाई की धरती पर कमल लेकर आए हैं. मित्रों, और लक्ष्मी कहां विराजित होती है. कमल पर ही विराजित होती है. अगर कमल है, तो लक्ष्मी आएगी. और लक्ष्मी आएगी तो रोटी आना पक्का है दोस्तों, ये क्रांति लानी है.
मित्रों, लक्ष्मी बाई ने ललकार किया था कि नहीं दूंगी नहीं दूंगी मेरी झांसी नहीं दूंगी. मित्रों मेरे साथ नारा बुलाएंगे. पूरी ताकत से बुलाएंगे. मित्रों मैं कहूंगा. आप जरा नारा समझ लीजिए. ये बुंदेलखंड की धरती की आवाज है. मित्रों रानी लक्ष्मीबाई ने कहा था, नहीं दूंगी, नहीं दूंगी, मेरी झांसी नहीं दूंगी. मित्रों मैं कहता हूं. बेईमानों को नहीं देंगे नहीं देंगे. आप कहिए मेरा देश नहीं देंगे...नारे का शोर...दो बार बोलिए...शोर और तेज
मित्रों ये देश हम बेईमानों को नहीं देंगे. भाइयों बहनों लूट चली है. भारतीय जनता पार्टी ने मुझ जैसे एक सामान्य व्यक्ति को, पिछड़े परिवार में पैदा हुआ, रेलवे के डिब्बे में चाय बेचने वाला बच्चा. ये पार्टी की महानता देखिए. ये बीजेपी के संस्कार देखिए. ऐसे पिछड़े परिवार के व्यक्ति को देश के पीएम का उम्मीदवार घोषित किया.
भाइयों बहनों आप मुझे प्रधानमंत्री मत बनाइए. आप मुझे चौकीदार बनाए. और भाइयों बहनों मैं दिल्ली में जाकर चौकीदार की तरह बैठूंगा. आपको विश्वास दिलाता हूं. आप ऐसा चौकीदार बैठाओगे मैं देश की तिजोरी पर कोई पंजा नहीं पड़ने दूंगा. इसलिए मैं चौकीदार की तरह सेवा करना चाहता हूं. आपने उन्हें साठ साल दिए. मुझे साठ महीने दीजिए. हम तकदीर भी बदलेंगे और तस्वीर भी. पूरी ताकत से बोलिए. भारत माता की जय. ताकत से बोलिए. ये मीडिया वाले आपकी तस्वीर लेना चाहते हैं.