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जयंती के दिन अपने ही शहर में बेगाने हो गए मिर्जा गालिब!

सिर्फ कुछ सामाजिक-सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति समर्पित कुछ लोग मिर्जा ग़ालिब को अपने-अपने स्तर से याद करते है और इस महान फनकार के प्रति अपनी श्रद्धा अपर्ति करते हैं. यहां गौर करने की बात यह है कि ग्लोबल सर्च इंजन गूगल ने भी ग़ालिब की याद में डूडल बनाया और उनकी 220वीं सालगिरह पर उन्हें याद किया.

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मिर्जा ग़ालिब
मिर्जा ग़ालिब

अपनी शेर-ओ-शायरी से दुनियां को रोशन करने वाले उर्दू शायरी के दिग्गज मिर्जा ग़ालिब को उनके अपने शहर आगरा ने ही भुला सा दिया है. ग़ालिब की पैदाइश उनके ननिहाल आगरा के एक रईस परिवार में हुई थी. वहीं उनकी शादी दिल्ली की एक रईस ख़ानदान की लड़की से हुई थी. इसके बाद वह दिल्ली बस गए थे.आपको बता दें कि उर्दू को आम जन की जुबां बनाने वाले गालिब की आज 220वीं सालगिरह है. आगरा के सरमायेदारों ने तो अपने ही शहर की इस महान हस्ती को भुला दिया है.

सिर्फ कुछ सामाजिक-सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति समर्पित कुछ लोग मिर्जा ग़ालिब को अपने-अपने स्तर से याद करते है और इस महान फनकार के प्रति अपनी श्रद्धा अपर्ति करते हैं. यहां गौर करने की बात यह है कि ग्लोबल सर्च इंजन गूगल ने भी ग़ालिब की याद में डूडल बनाया और उनकी 220वीं सालगिरह पर उन्हें याद किया.

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वहीं आगरा में पिछले 20 वर्षों से मिर्जा ग़ालिब की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित कराने वाले बज्मे गालिब समिति के पदाधिकारी अरुण डंग ने दावा किया कि मिर्जा गालिब के प्रति सरकार का कोई लगाव नहीं है. आगरा नगर निगम के मेयर नवीन जैन से इस संबंध में बात की गयी तो उन्होंने कहा कि वह शहर की महान विभूतियों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं. उन्होंने कहा कि वह नगर निगम में प्रस्ताव लाकर मिर्जा ग़ालिब की जयंती पर कार्यक्रम आदि की शुरुआत करायेंगे.

ग़ालिब का जन्म का नाम मिर्जा असदुल्ला बेग खान था. उनका जन्म 27 दिसंबर 1797 को आगरा में हुआ था. ग़ालिब ने 11 वर्ष की उम्र में शेर-ओ-शायरी शुरू की थी. तेरह वर्ष की उम्र में शादी करने के बाद वह दिल्ली में बस गए. उनकी शायरी में दर्द की झलक मिलती है और उनकी शायरी से यह पता चलता है कि जिंदगी एक अनवरत संघर्ष है जो मौत के साथ खत्म होती है.

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