योगी सरकार ने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश में वैक्सीनेशन बढ़ाई जाएगी, खासकर ग्रामीण इलाकों में इसकी रफ्तार काफी बढ़ाई जाएगी. हाल ही में यूपी सरकार ने ग्लोबल टेंडर को लेकर भी नियमों में बदलाव किया है, जिससे कि ज्यादा वैक्सीन खरीदी जा सकी. लेकिन वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में वैक्सीनेशन ड्राइव अप्रभावी नजर आ रही है.
सरकार के मुताबिक वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ी है. 24 करोड़ की बड़ी आबादी वाले प्रदेश में अब तक 1.54 करोड़ वैक्सीन दी गई है. अब तक 1.21 करोड़ लोगों को पहली डोज दी गई है. जबकि 32.91 लाख लोगों को सेकेंड डोज दी गई है. ग्रामीण इलाकों में भी वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ाने के लिए ड्राइव को तेज किया गया है और कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर को भी इस काम पर लगाया गया है.
आजतक लखनऊ के चिनहट कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर पर पहुंचा, जहां शहरी इलाकों के लिए वैक्सीनेशन की जा रही है. यहां पर 18 से 44 एज ग्रुप और 45+ कैटेगरी को स्लॉट के हिसाब से वैक्सीन दी जा रही है. लेकिन दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों के लिए वैक्सीनेशन ड्राइव में कमी आई है. चिनहट कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर के चीफ मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. मेजर पांडे ने आजतक से बात करते हुए कहा कि शहरी इलाकों में वैक्सीनेशन काफी अच्छी चल रही है. लेकिन ग्रामीणों में वैक्सीन को लेकर डर है.
उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में वैक्सीनेशन ड्राइव बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन टर्नआउट बहुत कम है. उन्होंने दावा किया कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग वैक्सीन लेने में आनाकानी कर रहे हैं. इसी वजह से इन इलाकों में वैक्सीनेशन ड्राइव कम है. इसी प्रकार स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि प्राइमरी हेल्थ सेंटर पिछले तीन दिनों से वैक्सीनेशन बंद है. क्योंकि ग्रामीण इलाकों में वैक्सीन की बहुत ज्यादा बर्बादी हो रही है. हालांकि वास्तविकता दावे से अलग है. इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने भी इस बात को खारिज किया है और कहा है कि प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स पर वैक्सीन की कमी है.
जुग्गौर गांव के 60 वर्षीय निवासी कौशल किशोर ने कहा कि जब वह पीएचसी गए, तो वहां के मेडिकल स्टाफ ने उन्हें वैक्सीन लगाने से मना कर दिया. उनका व्यवहार भी काफी खराब था. उन्होंने सीएम योगी के दावे पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अगर पीएचसी पर वैक्सीन मौजूद नहीं है तो कहां है.
52 साल के सोहैल जफर किदवई ने कहा कि आशा वर्कर की तरफ से कोई गणना नहीं की गई है. शुरुआत में गांव में वैक्सीनेशन शुरू की गई थी. लेकिन बाद में लोगों को दवाई उपलब्ध नहीं कराूई गई. वह अब भी वैक्सीन लेने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन गांव में कोई वैक्सीनेशन ड्राइव नहीं चल रही है.