scorecardresearch
 

शहर में हुआ बेबस, 1137 किमी दूर गांव आकर किया गर्भवती पत्नी का अंतिम संस्कार

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. लुधियाना में मजदूरी करने वाले युवक को अपनी पत्नी के शव को कंधा देने वाले चार लोग नहीं मिले. तो उसे लोगों से 27 हजार रुपये कर्ज लेकर एंबुलेंस से अपनी पत्नी का शव अपने गांव लाना पड़ा.

Advertisement
X
दद्दन अपनी पत्नी का शव लेकर लुधियाना से बलरामपुर पहुंचे (Photo Aajtak)
दद्दन अपनी पत्नी का शव लेकर लुधियाना से बलरामपुर पहुंचे (Photo Aajtak)

  • पत्नी की अर्थी के लिए नहीं मिले चार कंधे
  • 1137 KM दूर एंबुलेंस से गांव लाया शव

लुधियाना में मजदूरी कर रहे बलरामपुर के एक युवक की गर्भवती पत्नी की इलाज के दौरान मौत हो गई. कोरोना महामारी के बीच लुधियाना में उसकी पत्नी के शव को कंधा देने वाले लोग नहीं मिले. लॉकडाउन के बीच मजबूर होकर युवक को 27 हजार रुपये कर्ज लेकर 1137 किमी दूर एंबुलेंस से अपनी पत्नी के शव को लेकर अपने पैतृक गांव बलरामपुर लाना पड़ा.

सनातनी परंपरा में मान्यता है कि यदि कोई किसी की अंतिम यात्रा में शामिल होता है, अर्थी को कंधा देता है तो उसे पुण्य की प्राप्ति होती है. लेकिन कोरोना वायरस के संकट काल ने इसके मायने बदल कर रख दिए हैं. कुछ ऐसा ही उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के रहने वाले दद्दन के साथ हुआ. वह रोजी-रोटी की तलाश में लुधियाना गया था.

Advertisement

लोगों ने महिला के शव को कंधा देने से मना किया

जहां उसकी 9 माह की गर्भवती पत्नी की मौत हो गई. डॉक्टरों ने कोविड-19 की जांच कराई तो रिपोर्ट निगेटिव आई. लेकिन, लोगों ने महिला के शव को कंधा देने से मना कर दिया. आखिरकार दद्दन को 27 हजार रुपए कर्ज लेकर 1,137 किमी दूर एंबुलेंस से पत्नी का शव गांव लाना पड़ा. बलरामपुर के कठौवा गांव निवासी दद्दन अपनी पत्नी गीता और तीन बच्चों के साथ लुधियाना में रहकर मजदूरी करता था. वह पीओपी यानी प्लास्टर ऑफ पेरिस का काम करता था.

thumbnail_untitled-2_050620121049.jpgदद्दन पत्नी के शव को लुधियाना से गांव लाया

26 अप्रैल को गर्भवती पत्नी की तबियत खराब होने पर अस्पताल ले गया जहां उसकी मौत हो गई. डॉक्टरों ने कोरोना जांच रिपोर्ट आने तक शव देने से इनकार कर दिया. चार दिनों तक दद्दन अपने मासूम बच्चों को लेकर घर और अस्पताल भटकता रहा. 4 दिन बाद कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद अस्पताल प्रशासन ने पत्नी गीता का शव उसे सौंपा. लॉकडाउन के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहे दद्दन ने पहले शव का अंतिम संस्कार लुधियाना में करने का मन बनाया. लेकिन पड़ोसियों ने कोरोना और लॉकडाउन के कारण अंतिम संस्कार में शामिल होने से साफ मना कर दिया.

Advertisement

दद्दन ने 27 हजार रुपये का कर्ज लिया

दद्दन को अपनी पत्नी के शव को कंधा देने के लिए जब वहां चार लोग भी नहीं मिले तो उसने लोगों से 27 हजार रुपये कर्ज लिया और एंबुलेंस से 1137 किलोमीटर का सफर पूरा कर अपने गांव पहुंचा. 20 घंटे लगातार सफर के बाद दद्दन अपने गांव कठौवा पहुंचा. जहां पूरा गांव शोक में डूब गया. दद्दन की पत्नी के शव का दाह संस्कार होने के बाद ग्राम प्रधान और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दद्दन और उसके तीन मासूम बच्चों को गांव में बने क्वारनटीन सेंटर में भेज दिया है.

Advertisement
Advertisement