संस्थापक कांशीराम की जयंती के दिन ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को झटका लगा है. बसपा के चार बड़े नेता रविवार को समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. सपा का दामन थामने वालों में पूर्व बसपा सांसद बलिहारी बाबू, पूर्व एमएलसी और बसपा कोऑर्डिनेटर तिलक चंद अहिरवार, पूर्व बसपा विधायक फेरनलाल अहरिवार, पूर्व बसपा विधायक अनिल अहिरवार शामिल हैं. बीजेपी के पूर्व विधायक अनिल पाल भी सपा शामिल हुए हैं.
बहुजन समाज पार्टी से निष्कासित बुंदेलखंड के कद्दावर नेता और पूर्व एमएलसी तिलकचंद्र अहिरवार ने भी सपा की सदस्यता ली है. तिलक चंद्र अहिरवार बसपा से एमएलसी रह चुके हैं. साथ ही वह जालौन- गरौठा-भोगनीपुर से 2009 लोकसभा चुनाव भी बसपा से लड़ चुके हैं जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
अखिलेश ने पूर्व बसपा सांसद बलिहारी बाबू और कई पूर्व विधायकों के बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में आने पर उन सभी का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि समाजवादी पार्टी राज्य में वापसी की राह पर अग्रसर है.
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हाल ही में बसपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए तिलकचंद्र अहिरवार को तीन महीने पहले पार्टी से निष्कासित कर दिया था. इसके बाद तिलक चंद्र अहिरवार ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकत की थी. बलिहारी बाबू बसपा से राज्यसभा सांसद रह चुके हैं और आजमगढ़ और पूर्वांचल के बड़े चेहरे रहे हैं. तिलकचंद अहिरवार बसपा के कोऑर्डिनेटर रहे हैं और कई राज्यों में बसपा के प्रभारी भी रह चुके हैं.
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माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी या फिर कुछ सीटों पर छोटे-छोटे दलों से गठबंधन भी हो सकता है, इस पर शनिवार को हुई कार्यकारिणी की बैठक में मंथन हुआ होगा. चूंकि पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने दम पर ही 350 सीटें पाने का दावा किया है, इसलिए इस लक्ष्य को हासिल करने को रणनीति की सपा में चर्चा चल रही थी.
इसी को देखते हुए सपा ने बहुजन समाज पार्टी के बागी और रूठे नेताओं को अपने पाले में लेना शुरू किया है. इसी रणनीति के तहत सपा अपना दायरा बढ़ा रही है और बसपा और बीजेपी के नेताओं को पार्टी में शामिल कर रही है.