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अखिलेश सरकार के 'दुलारों' पर लाल हुआ हाइकोर्ट

अपने चहेते और दुलारों को रेवड़ियों की तरह मंत्री का दर्जा देकर लाल बत्ती बांटने वाली अखिलेश यादव सरकार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने तगड़ा झटका दिया है.

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अखिलेश यादव
अखिलेश यादव

अपने चहेते और दुलारों को रेवड़ियों की तरह मंत्री का दर्जा देकर लाल बत्ती बांटने वाली अखिलेश यादव सरकार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने तगड़ा झटका दिया है.

कोर्ट ने सरकार द्वारा राज्य या उपमंत्री का दर्जा देने पर रोक लगा दी है और मौजूदा लाभान्वित लोगों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. इसके साथ ही कोर्ट ने दर्जा प्राप्‍त मंत्रियों के लालबत्ती के इस्तेमाल पर तत्काल रोक लगा दी है. जस्टिस देवी प्रसाद सिंह और जस्टिस अशोक पाल सिंह की पीठ ने कहा कि मौजूदा सरकार में 58 मंत्री हैं. संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत किसी राज्य मे विधानसभा सीटों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत को ही मंत्रीमंडल में जगह दी जा सकती है, लेकिन राज्य सरकार में यदि दर्जा प्राप्‍त मंत्रियों को मिला लिया जाए तो संख्या इस प्रतिशत से कहीं ज्यादा हो जाती है.

आनेवाले 2014 को लोकसभा चुनाव को देखते हुए अखिलेश सरकार ने हाल ही में कई कार्यकर्ताओं को लालबत्ती से नवाजा है. अबतक अखिलेश सरकार में लालबत्ती का दर्जा पाने वाले सपा नेताओं की संख्या 100 को पार कर गयी है. पिछले 15 दिनों में सपा सरकार ने दो दर्जन से ज्यादा नेताओं को लालबत्ती बांटी है, जिसमें कई नेता पश्चिमी यूपी के हैं. गौरतलब है कि पिछली माया सरकार नें 18 जुलाई 2007 को राज्यमंत्री का दर्जा देने का शासनादेश जारी कर तमाम बसपा कार्यकर्ताओं को लालबत्तियां बांटी थी. वर्तमान में सपा सरकार भी इसी शासनादेश की आड़ लेकर अपने चहेते को राज्यमंत्री का दर्जा देकर उन्हें लालबत्ती से नवाजने कोई कसर नहीं छोड़ी है. लेकिन हाईकोर्ट नें सरकार की इस कवायद पर रोक लगा दी है.

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एक स्थानीय पत्रकार सच्चिदानंद ने पीआईएल दायर कर राज्य सरकार की ओर से 18 जुलाई 2007 को जारी एक आदेश को चुनौती दी थी. इस आदेश से सरकार को अपने चहेतों को मंत्री का दर्जा देने और उससे जुड़ी सुविधाएं देने का अधिकार मिल गया था. कोर्ट ने इस आदेश को स्टे कर दिया है. बेंच ने अपने आदेश में कहा कि जो व्यक्ति संवैधानिक पद पर नहीं है उसे संवैधानिक पद का दर्जा नहीं दिया जा सकता, इसलिए चेयरमैन, वाइस चेयरमैन या सलाहकार बनाकर संवैधानिक दर्जा देकर उपकृत करना प्रथम दृष्‍टया गलत है.

याचिकाकर्ता सच्चिदानंद ने बताया, 'जो संविधान का संशोधन हुआ था और जो एसेंबली का स्टैण्ड होगा, उसका 15 प्रतिशत से ज्यादा मंत्री नहीं बना सकते. वर्तमान सरकार में ऐसम्बली की स्टैण्ड के अनुसार 60 मंत्री हो सकते हैं मुख्यमंत्री सहित. वर्तमान में मुख्यमंत्री समेत 59 लोग होने चाहिए. अखिलेश यादव की सरकार ने बैकडोर से संविधान की धज्जियां उड़ाते हुये लगभग 108 लोगों को राज्यमंत्री स्तर और कैबिनेट मंत्री स्तर की सुविधाएं दी हैं.'

बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन कहते हैं कि कोर्ट के आदेश के बाद यह साबित हो गया है कि सपा सरकार ने संवैधानिक पदों का राजनीतिकरण कर दिया है. इससे समाज में भेदभाव पैदा हो रहा है.

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